gujrat court allows withdrawal of case against BJP ex-MP Amritlal Patel in Dhotiya kand |…

कोर्ट ने कहा- मामला राजनीति से जुड़ा है और इसे समाज के व्यापक हित में वापस लेने की अनुमति मांगी गई है।
अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 29 साल पुराने उस मामले को वापस लेने की अनुमति दे दी है, जिसमें दो पूर्व भाजपा सांसदों पर सार्वजनिक कार्यक्रम में एक विधायक की धोती खींचने का आरोप था।
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यह घटना मई 1996 में एक जनसभा के बाद हुई थी। जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भाजपा नेताओं की बैठक को संबोधित किया था। इस घटना को व्यापक रूप से ‘धोतिया कांड’ के नाम से जाना जाता है।
उस समय पुलिस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अमृतलाल पटेल (अब 95 वर्ष) और मंगलदास पटेल (जो अब नहीं रहे) के खिलाफ IPC की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत मामला दर्ज किया था।
शंकर सिंह वाघेला ने 1995 में भाजपा छोड़कर अलग पार्टी बनाई थी। तीन साल बाद कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
शंकरसिंह वाघेला सरकार में मंत्री थे आत्माराम पटेल मामले के कागजों के अनुसार, आरोपियों और अन्य लोगों ने भाजपा विधायक आत्माराम पटेल की धोती खींच दी थी। आत्माराम पटेल उस समय शंकरसिंह वाघेला सरकार में मंत्री थे। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गए और मेहसाणा से 13वीं लोकसभा के सांसद बने।
आत्माराम ने विजापुर विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए 1996 में शंकरसिंह वाघेला का साथ दिया था। वाघेला ने BJP से बगावत कर अपनी पार्टी बनाई थी। आरोपी सांसद इसी बात से आत्माराम पटेल से नाराज थे।
अमृतलाल पटेल देश के शुरुआती भाजपा सांसदों में से एक थे। उन्होंने 1984 से 1999 के बीच पांच बार मेहसाणा लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और वाजपेयी सरकार में रसायन एवं उर्वरक राज्यमंत्री भी रहे। उससे पहले वे विधायक भी रह चुके थे। 1999 के लोकसभा चुनाव में आत्माराम ने ही अमृतलाल को मेहसाणा सीट पर हराया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हेमांग कुमार पंड्या ने गुरुवार को अभियोजन की ओर से मामला वापस लेने की अर्जी को मंजूरी दे दी। अदालत ने कहा कि यह मामला एक राजनीतिक दल के आंतरिक विवाद से जुड़ा है।
अदालत ने कहा-
आरोप-पत्र में यह नहीं दर्शाया गया है कि आरोपी नंबर 1 अमृतलाल पटेल ने आत्माराम पटेल पर हमला किया था। वहीं, दूसरे आरोपी मंगलदास पटेल की ट्रायल के दौरान ही मौत हो चुकी है, जबकि पीड़ित आत्माराम पटेल का भी 2002 में निधन हो गया था।
अदालत ने आदेश में कहा- यह मामला राजनीतिक दल के आंतरिक विवाद से जुड़ा हुआ है और इसे समाज के व्यापक हित में वापस लेने की अनुमति मांगी गई है। यह अभियोजन की bona fide (सच्ची) मंशा प्रतीत होती है। लोक अभियोजक ने अभियोजन वापसी के मामले पर विचार किया है। इसलिए, अभियोजन वापसी की अनुमति दी जाती है।