गाजा में अकाल मचाएगा तबाही, UN बोला- ‘मौत की दहलीज पर 6 लाख जिंदगियां’

इजरायल-फिलिस्तीन विवाद के बीच शुक्रवार (22 अगस्त, 2025) को संयुक्त राष्ट्र ने गाजा में आधिकारिक तौर पर अकाल की घोषणा की है, जो मध्य पूर्व में पहला अकाल है. एक्सपर्ट के अनुसार, इस अकाल में 5,00,000 लोग भयानक भुखमरी का सामना कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र सहायता प्रमुख टॉम फ्लेचर ने कहा कि इजरायल के अवरोधों के कारण फिलिस्तीन के इन क्षेत्रों में भोजन नहीं पहुंच पा रहा था, वरना इस अकाल को रोका जा सकता था. वहीं यूएन के इस बयान पर पलटवार करते हुए इजरायल के विदेश मंत्रालय ने अपनी प्रतिक्रिया दी.
हमास के झूठ पर आधारित आईपीसी की रिपोर्ट
रोम स्थित आईपीसी पैनल के रिपोर्ट की आलोचना करते हुए इजरायल विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट स्वार्थी संगठनों के माध्यम से फैलाए गए हमास के झूठ पर आधारित है. उन्होंने कहा कि गाजा में कोई अकाल नहीं है.
रोम के आईपीसी पैनल ने शुक्रवार को कहा कि 15 अगस्त 2025 तक गाजा के प्रांत और शहर, जो गाजा पट्टी का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है, में अकाल की पुष्टि हो चुकी है. उन्होंने बताया कि सितंबर के अंत तक अकाल का प्रभाव बढ़ते हुए डेर अल-बलाह और खान यूनिस प्रांतों तक होने का अनुमान है, जो फिलिस्तीन के लगभग दो-तिहाई हिस्से को चपेट में ले लेगा.
गाजा पट्टी में 5 लाख से ज्यादा लोग भुखमरी के शिकार
आईपीसी पैनल की रिपोर्ट में ये कहा गया कि 22 महीने से चल रहे भीषण युद्ध के बाद, गाजा पट्टी में 5 लाख से ज्यादा लोग भुखमरी से और मौत जैसी भयानक स्थिति का सामना कर रहे हैं और अब सितंबर के अंत तक यह संख्या बढ़कर 641,000 हो जाने की उम्मीद है, जो कुल आबादी का लगभग एक तिहाई है.
वहीं इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए आईपीसी ने कहा कि ये भयानक भुखमरी, इजरायल और हमास के बीच युद्ध के कारण बड़े पैमाने पर विस्थापन और गाजा में आपूर्ति में लगाए गए प्रतिबंध के कारण हुआ है. दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होने के बाद मार्च की शुरूआत में, इजरायल ने गाजा में सहायता आपूर्ति पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था, जिससे वहां भोजन, दवा और सामानों की भारी कमी हो गई.
गाजा में कृषि, पशुपालन और मछली पालन तबाह
आईपीसी ने कहा कि गाजा पट्टी में अनुमानित 98 प्रतिशत कृषि भूमि या तो तबाह हो गई है, दुर्गम हो गई है या दोनों ही हो गई हैं. पशुधन नष्ट हो गया है और मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके अलावा, स्वास्थ्य प्रणाली भी बुरी तरह से बिगड़ गई है, जबकि सुरक्षित पेयजल और पर्याप्त स्वच्छता तक पहुंच में भारी कमी आई है.
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