ट्रंप की टैरिफ धमकियों के बीच भारतीय राजदूत ने की अमेरिकी सांसदों के साथ मीटिंग, जानें क्या हुई…

अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ शुल्क को लेकर तनाव के बीच भारतीय राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने शुक्रवार (22 अगस्त, 2025) को अमेरिकी सांसदों के साथ ‘पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार संबंध’ और ‘ऊर्जा सुरक्षा’ पर चर्चा की. भारतीय राजदूत ने सीनेटर बिल हेगर्टी से मुलाकात की और उन्हें भारत-अमेरिका साझेदारी के लिए निरंतर और मजबूत समर्थन को लेकर धन्यवाद दिया.
क्वात्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, ‘निष्पक्ष, संतुलित और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार संबंधों के लिए जारी द्विपक्षीय चर्चाओं के बारे में उन्हें जानकारी दी.’ उन्होंने सीनेटर हेगर्टी के साथ ऊर्जा सुरक्षा और हाइड्रोकार्बन के क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापार पर अपने दृष्टिकोण भी साझा किए.
सोशल मीडिया पोस्ट कर दी जानकारी
क्वात्रा ने अमेरिकी संसद सदस्य ग्रेग लैंड्समैन के साथ भी सार्थक बातचीत की और उन्हें द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के विकास के बारे में जानकारी दी. उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, ‘मैंने उन्हें द्विपक्षीय व्यापार संबंधों और ऊर्जा सुरक्षा में हाल के घटनाक्रमों और हमारे देशों के बीच बढ़ती हाइड्रोकार्बन साझेदारी के बारे में जानकारी दी.’
इससे पहले, क्वात्रा ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी और साइबर उपसमिति, ‘हाउस इंटेलिजेंस कमेटी’ के सदस्य जोश गोटैमर से मुलाकात की और तेल और गैस में दोतरफा व्यापार और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार संबंधों पर चर्चा की. गोटैमर अमेरिकी प्रतिनिधि सभा के सदस्य हैं.
12 दिन में अमेरिकी सांसदों के साथ अब तक 16 बैठकें
क्वात्रा ने गुरुवार (21 अगस्त, 2025) को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, ‘तेल और गैस के दोतरफा व्यापार और संतुलित, निष्पक्ष और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापारिक संबंधों सहित द्विपक्षीय ऊर्जा सहयोग में नवीनतम प्रगति से जुड़ी जानकारी साझा की.’
भारतीय राजदूत ने 9 अगस्त से अब तक 16 अमेरिकी सांसदों से मुलाकात की है, जैसा कि उनके सोशल मीडिया पोस्ट से पता चलता है. ये बैठकें ऐसे समय में हो रही हैं, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ शुल्क लगाए जाने के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया है. इसमें रूसी तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत टैरिफ भी शामिल है, जो 27 अगस्त से लागू होने वाला है.
रूसी कच्चे तेल को लेकर भारत का रूख
रूसी कच्चे तेल की खरीद का बचाव करते हुए, भारत ने कहा है कि उसकी ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता से प्रेरित है. फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों की ओर से मॉस्को पर प्रतिबंध लगाने के बाद भारत ने छूट पर बेचे जाने वाले रूसी तेल को खरीदना शुरू किया था.
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