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वराह भगवान कौन हैं, उनकी मूर्ति कैसी होती है, आजकल ये क्यूं ट्रेंड में है

Varaha Jayanti 2025: जब-जब अधर्म का बोलबाला हुआ तब श्रीहरि ने अवतार लेकर धर्म की पुन: स्थापना की, भगवान विष्णु ने संसार के कल्याण के लिए 24 अवतार लिए थे. हर अवतार का एक विशेष उद्देश्य था. इन्हीं में से एक है भगवान वराह का अवतार. आखिरी कौन है भगवान वराह, कैसा है इनका स्वरूप और इनकी पूजा करने का महत्व भी जान लें.

क्यों ट्रेंड में है भगवान वराह ?

भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को वराह जयंती मनाई जाती है. इस साल वराह जयंती 25 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी.  इस दिन पूजा का मुहूर्त दोपहर 01:40 से शाम 04:15 तक है. पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने वराह अवतार लेकर हिरण्याक्ष नाम के दैत्य को मारा था.

कौन है भगवान वराह ?

भगवान वराह श्रीहरि विष्णु के तीसरे अवतार है. इन्हें उद्धारक देवता के रूप में भी जाना जाता है. इस अवतार के माध्यम से मानव शरीर के साथ परमात्मा का पहला कदम धरती पर पड़ा.

कैसा है भगवान वराह का स्वरूप ?

वराह यानी शुकर (सूअर). भगवान वराह का मुख शुकर का लेकिन शरीर इंसानी है. उनके लंबे और चमकते हुए दांतों में पृथ्वी को समुद्र से ऊपर उठाने की शक्ति होती है, और वे अक्सर अपने हाथों में तलवार या भाला जैसे हथियार धारण करते हैं, जो योद्धा रूप को दर्शाते हैं। ये विष्णु जी के बहुत अनूठा अवतारा माना जाता है. मान्यता है वराह जयंती के दिन भगवान वराह की पूजा और स्तुति करने पर सुख-सौभाग्य की प्राप्त होती है, शत्रु से रक्षा होती है.

क्यों लिया भगवान विष्णु ने वराह अवतार ?

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार हिरण्याक्ष नामक राक्षस पृथ्वी का हरण करके उसे पाताल लोक ले गया. हिरण्याक्ष, हिरण्यकश्यप का ही भाई था. तब भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए.  भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की. सबके आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया.

पृथ्वी का पता लगाने के बाद समुद्र में जाकर अपने दांतों पर रखकर वे धरती को बाहर ले आए. जब हिरण्याक्ष ने ये देखा तो उसने भगवान विष्णु के वराह रूप को युद्ध के लिए ललकारा. दोनों में युद्ध हुआ. आखिरी में हिरण्याक्ष मर गया. इसके बाद भगवान वराह ने अपने खुरों से जल को स्तंभित कर उस पर पृथ्वी को स्थापित कर दिया.

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