New Guidelines for Rajasthan Vivekananda Scholarship Program | देश-विदेश में फ्री पढ़कर…

राजस्थान सरकार ने विवेकानंद स्कॉलरशिप प्रोग्राम के लिए नई गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत अब छात्रों को विदेश और देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में मुफ्त शिक्षा प्राप्त करने के बाद राजस्थान में नौकरी ढूंढनी होगी। इसके साथ ही, सरकार ने विदेश में पढ़ने वाल
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21 अगस्त से शुरू हुई आवेदन प्रक्रिया 20 सितंबर तक चलेगी। इस योजना के तहत छात्र सरकारी खर्च पर विदेश और देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में पढ़ सकेंगे। हालांकि, इस बार सरकार ने स्कॉलरशिप योजना में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं।
- छात्राओं के लिए आरक्षण: पहली बार, योजना में 30% सीटें विशेष रूप से छात्राओं के लिए आरक्षित की गई हैं, जिससे महिला शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
- विदेश में छात्रों की संख्या में कटौती: विदेश में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या में 25% तक की कमी की गई है। अब केवल 150 छात्र ही सरकारी खर्च पर विदेश में शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे, जबकि पहले यह संख्या 200 थी।
सरकार ने यह भी अनिवार्य कर दिया है कि विदेश और देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में सरकारी खर्च पर शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को नौकरी के लिए राजस्थान को प्राथमिकता देनी होगी। उन्हें अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद सबसे पहले राजस्थान में ही नौकरी की तलाश करनी होगी। साथ ही, उन्हें सरकार की योजनाओं की रिपोर्ट तैयार करने और उनका प्रचार-प्रसार करने में भी सहयोग करना होगा।
विवेकानंद स्कॉलरशिप की नई गाइडलाइन
- परिवार में दो बच्चों तक सीमित: अब स्कॉलरशिप एक परिवार में केवल दो बच्चों को ही दी जाएगी। यदि पहले किसी छात्र/छात्रा को स्कॉलरशिप मिल चुकी है, तो भविष्य में E1 और E2 कैटेगरी में एक और छात्र/छात्रा को स्कॉलरशिप मिल सकती है, जबकि E3 श्रेणी में परिवार के केवल एक छात्र को ही यह स्कॉलरशिप मिलेगी।
- कोर्स छोड़ने पर वसूली: यदि स्कॉलरशिप प्रोग्राम में चयनित होने के बाद कोई छात्र बीच में ही कोर्स छोड़ देता है, तो सरकार द्वारा उस पर खर्च की गई पूरी राशि की वसूली की जाएगी।
- सरकार की योजनाओं का अध्ययन: स्कॉलरशिप प्रोग्राम में चयनित छात्रों को अवकाश के दौरान राजस्थान सरकार की योजनाओं का तुलनात्मक अध्ययन और सुधार रिपोर्ट तैयार करनी होगी।
- तकनीकी रिपोर्ट में मदद: इंजीनियरिंग और टेक्निकल कोर्स की तैयारी कर रहे छात्र सरकार को तकनीकी रिपोर्ट तैयार करने में मदद करेंगे।
- रिसर्च प्रोजेक्ट रिपोर्ट: छात्रों को अपने रिसर्च प्रोजेक्ट पर किए गए शैक्षणिक कार्य की रिपोर्ट भी सरकार को जमा करनी होगी।
- ऑनलाइन इंटरेक्शन अनिवार्य: राजस्थान सरकार द्वारा छात्रों से जब भी ऑनलाइन इंटरेक्शन किया जाएगा, उसमें शामिल होना अनिवार्य होगा।
- योजना का प्रचार-प्रसार: स्कॉलरशिप हासिल करने वाले छात्रों को राजस्थान सरकार की स्कॉलरशिप योजना का प्रचार-प्रसार करना होगा और जरूरत पड़ने पर दूसरे छात्रों को भी गाइड करना होगा।
- राजस्थान में नौकरी की तलाश: स्कॉलरशिप प्रोग्राम के तहत अध्ययन करने वाले छात्रों को कोर्स पूरा होने के बाद राजस्थान में ही नौकरी या नौकरी की तलाश करनी होगी।
- यंग इंटर प्रोग्राम में प्राथमिकता: सरकार द्वारा शुरू किए गए यंग इंटर प्रोग्राम में स्कॉलरशिप हासिल कर चुके छात्रों को प्राथमिकता दी जाएगी।
- नौकरी की गारंटी नहीं: स्कॉलरशिप हासिल करने के बाद भी अगर किसी छात्र की नौकरी नहीं लगती है, तो सरकार और इस योजना का उनसे कोई सरोकार नहीं होगा।
- गलत डॉक्यूमेंट पर वसूली: यदि किसी छात्र द्वारा गलत डॉक्यूमेंट के आधार पर स्कॉलरशिप ली जाती है, तो सरकार उससे 12% ब्याज के साथ पूरी राशि की वसूली की जाएगी।
- E-2 कैटेगरी का दायरा बढ़ा: अब E-2 कैटेगरी (वार्षिक आय 8 लाख से 25 लाख रुपए) के छात्र भी देश के संस्थानों में आवेदन कर सकेंगे। पहले उन्हें केवल विदेश अध्ययन के लिए ही पात्र माना जाता था।
- छात्राओं को प्रोत्साहन: छात्राओं को बढ़ावा देने के लिए 30% सीटें उनके लिए सुरक्षित रखी गई हैं।
2024-25 में 500 स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप देने की योजना थी साल 2024-25 में कुल 500 स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप देने की योजना थी। जिसमें से 365 स्टूडेंट्स का सिलेक्शन स्कॉलरशिप के लिए हुआ था। इनमें से 308 स्टूडेंट्स को विदेश और 57 स्टूडेंट्स को प्रदेश सरकार ने देश में पढ़ाई के लिए भेजा था। जबकि देश में अध्ययन वाली 145 सीटें खाली रह गई थी। जिन्हें दोबारा खोलने की अनुमति दी गई। पहले सरकार ने विदेशी अध्ययन के लिए आवंटित सीटें 500 से घटाकर 300 कर दी थीं, जबकि देश के संस्थानों के लिए 200 सीटें रखी थीं।
बीजेपी ने बदला नाम, कम की स्टूडेंट्स की संख्या राजस्थान के स्टूडेंट्स को विदेश में फ्री पढ़ाने की योजना पूर्व कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शुरू की थी। तब राजीव गांधी के नाम पर शुरू की गई इस योजना के तहत 500 स्टूडेंट्स को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कॉलेज और यूनिवर्सिटी में फ्री शिक्षा दिलाने के दावे किए गए थे।
लेकिन राजस्थान में बीजेपी की सरकार के गठन के बाद न सिर्फ इस योजना का नाम बदल गया बल्कि, इसके नियमों में भी बड़ा बदलाव किया गया। जहां पहले 500 स्टूडेंट्स को विदेश में पढ़ाने का प्रावधान था। जिसे घटकर मौजूदा सरकार ने 300 स्टूडेंट्स को विदेश में और 200 स्टूडेंट्स को देश में पढ़ने का फैसला किया था। लेकिन एक बार फिर से सरकार ने इस योजना में संशोधन किया है।