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भारतीय खेल मंत्रालय ने जिन 5 खिलाड़ियों के नाम पद्म पुरस्कारों के लिए नामित किए हैं, इनमें से 3 हरियाणवी हैं। झज्जर की मनु भाकर ने पेरिस ओलिंपिक में शूटिंग में दो ब्रॉन्ज मेडल जीते। एक मेडल में उनके जोड़ीदार रहे अंबाला के सरबजोत भी नामित हुए हैं। पेर

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मंत्रालय की ओर से ये नाम पद्म पुरस्कार समिति के पास भेजे गए हैं। पुरस्कार समिति 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) के मौके पर पुरस्कारों की घोषणा करती है। खेल और खिलाड़ियों के लिए मशहूर हरियाणा के खिलाड़ियों ने साल 2000 से 2024 तक हुए 7 ओलिंपिक में 11 मेडल भारत की झोली में डाले हैं।

पेरिस ओलिंपिक में 117 सदस्यीय भारतीय दल में 24 हरियाणवी थे। देश को मिले 6 पदकों में से 1 रजत और 3 ब्रॉन्ज हरियाणवियों ने जीते। टोक्यो ओलिंपिक में भी हरियाणवियों ने 1 गोल्ड, 1 सिल्वर और 1 ब्रॉन्ज जीता था।

अब पढ़े उन खिलाड़ियों की कहानी…जिनके नामों की सिफारिश हुई

मनु का 5 खेलों में मन नहीं रमा, पिता ने डेढ़ लाख की पिस्टल खरीदकर दी

मनु भाकर झज्जर जिले के गांव गोरिया में 18 फरवरी 2002 को जन्मीं। उनके पिता रामकिशन भाकर नेवी में अफसर हैं और उनकी मां सुमेधा टीचर रह चुकी हैं। शूटिंग में डबल मेडल विजेता मनु की खेलों में टेनिस से शुरुआत हुई थी। मणिपुरी मार्शल आर्ट थांग-ता में नेशनल लेवल तक पहुंचीं। फिर बॉक्सिंग सीखा। स्केटिंग, आर्चरी भी की। कहीं मन नहीं रमा। आखिर में स्कूल की शूटिंग रेंज में मन लग गया।

पिता ने डेढ़ लाख रुपए कीमत की जर्मन पिस्टल खरीद कर दी। आखिर में शूटिंग में कमाल किया। खेल रत्न, अर्जुन अवॉर्ड और मेजर ध्यानचंद जैसे सर्वोच्च खेल सम्मान पहले ही हासिल कर चुकी हैं। हाल ही में मनु भाकर ने कजाकिस्तान में हुई एशियन चैंपियनशिप में दो ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किए हैं। मनु 2027-2028 में भारत में होने वाली आईएसएसएफ विश्व कप चैंपियनशिप की तैयारी में जुटी हैं। मनु के माता-पिता कहते हैं कि उन्हें गर्व है कि ऐसी बेटी को जन्म दिया है, जो कि देश के यूथ के लिए एक आइकॉन हैं।

  • मेजर ध्यान चंद पुरस्कार में नाम न जाने पर विवाद हुआ: मनु भाकर का नाम मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार ( पुराना नाम राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार) के लिए खेल मंत्रालय द्वारा बाद में भेजा गया था, क्योंकि शुरू में उनके नाम का नामांकन राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (NRAI) द्वारा नहीं किया गया था, जिससे विवाद हुआ। विवाद बढ़ने पर NRAI ने मंत्रालय से संपर्क किया और मंत्रालय ने उनके नामांकन पर विचार किया। अंततः ओलिंपिक में दो कांस्य पदक जीतने के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • खेल के साथ आगे पढ़ाई भी करेंगी मनु: मनु भाकर ने अपनी पढ़ाई पूरी करने का मन भी बनाया है। मनु के पिता रामकिशन भाकर ने बताया कि मनु एशियन चैंपियनशिप से आने के बाद रोहतक के IIM कॉलेज में स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कोर्स के लिए दाखिला लेने जा रही हैं। मनु ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से अपनी बीए की पढ़ाई की थी और एमए की पढ़ाई पंजाब यूनिवर्सिटी से की है।

सरबजीत की कोविड में प्रैक्टिस छूटी तो पिता ने घर में रेंज बनवा दी

सरबजीत अंबाला के बराड़ा क्षेत्र के गांव धीन के रहने वाले हैं। 2016 में उन्होंने शूटिंग के लिए तैयारी शुरू की। इस दौरान उन्होंने अंबाला में ही अभिषेक राणा के पास शूटिंग सीखना शुरू किया। यही उनके जीवन का सबसे कठिन फेज था। चूंकि शूटिंग रेंज उनके घर से 35 किलोमीटर दूर थी। घर दूर होने के चलते वे बस से रेंज तक आया करते थे। यानी रोज 70 किलोमीटर का सफर, जिसमें पूरा दिन चला जाता था। सरबजोत ने बताया कि 2021 में कोविड के दौरान शूटिंग रेंज बंद हो गई। अब सबसे अधिक परेशानी का समय था। पिता जितेंद्र सिंह ने उनका पूरा सहयोग किया और घर में ही एक अस्थाई रेंज बनाई, जिससे उनकी प्रैक्टिस नहीं रुकी।

  • अंबाला से अभी तक किसी खिलाड़ी को पद्म पुरस्कार नहीं मिला : सरबजोत को यदि पद्म पुरस्कार मिलता है तो वह सम्मान पाने वाले अंबाला के पहले खिलाड़ी बनेंगे। इससे पहले खेल के किसी अंबालवी को पद्म पुरस्कार नहीं मिला है। सरबजोत को अर्जुन अवॉर्ड मिल चुका है। पेरिस ओलिंपिक में मिक्स्ड टीम 10 मीटर एयर पिस्टल इवेंट में सरबजोत और मनु भाकर की जोड़ी ने ब्रॉन्ज जीता था।

अमन के दादा भी पहलवान, चाचा हिंद केसरी रहे, बचपन में मां-बाप खोए…

झज्जर जिले के गांव बरोहड़ के रहने वाले अमन सहरावत ने बचपन से ही पहलवानी करनी शुरू कर दी थी। बचपन में ही माता-पिता का देहांत हो गया था। इसके बाद उनके काका व ताऊ ने उनका लालन-पालन किया और पहलवानी के गुर सिखाए। अमन के काका कर्मबीर ने बताया कि अमन ने 10 साल की उम्र में ही पहलवानी करनी शुरू कर दी थी। अमन ने पहलवानी की शुरुआत हिंद केसरी पहलवान अपने काका कर्मबीर को देखकर और उनके ताऊ रोहताश को देखकर शुरू की थी। काका कर्मबीर ने बताया कि उनके दादा भी अच्छे पहलवान रहे हैं। अमन ओलिंपिक में मेडल जीतकर देश का सम्मान बढ़ा चुके हैं।

  • गांव के मंदिर से छत्रसाल अखाड़े तक का सफर: काका कर्मबीर ने बताया कि गांव के मंदिर में पहलवानी की शुरुआत कर अमन दो महीने के बाद ही दिल्ली के छत्रसाल अखाड़े में चला गया था। वहीं अपने कोच सतपाल पहलवान की देखरेख में पहलवानी की। अमन ने अब तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर करीब 50 मेडल अपने नाम किए हैं। 2014 में उन्होंने कुश्ती के अखाड़े में कदम रखा और 2024 में ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता।

नीरज चोपड़ा को भी मिल चुका है पद्म पुरस्कार

नीरज चोपड़ा को 2022 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मश्री प्रदान किया था।

पेरिस ओलिंपिक में भारत को मेडल दिलाने वाले नीरज चोपड़ा को 2022 में पद्मश्री मिल चुका है। बता दें कि नीरज चोपड़ा हरियाणा में पानीपत के गांव खंडरा के रहने वाले हैं। नीरज का जन्म 24 दिसंबर 1997 को गांव में ही हुआ। उन्होंने चंडीगढ़ के दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज से ग्रेजुएशन की। नीरज की प्रतिभा को सबसे पहले मशहूर भाला फेंक खिलाड़ी जयवीर चौधरी ने पहचाना और वह नीरज के पहले कोच बने। उसके बाद नीरज ने पंचकूला के ताऊ देवीलाल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में ट्रेनिंग ली।

वर्ष 2012 में नीरज लखनऊ में हुई जूनियर चैंपियनशिप में हिस्सा लेने गए और वहां 68.40 मीटर दूर भाला फेंककर रिकॉर्ड बना डाला। उसके बाद नीरज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। दक्षिण एशियाई खेलों में नीरज के प्रदर्शन के बाद इंडियन आर्मी ने उन्हें राजपूताना राइफल्स में जूनियर कमीशंड ऑफिसर का पद ऑफर किया था। नीरज की शादी सोनीपत के लड़सौली गांव की रहने वाली टेनिस प्लेयर हिमानी मोर के साथ इसी साल हुई थी।

इनपुटः अंबाला से राम सारस्वत

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