summary of speeches given by pm modi amit shah rajnath singh and jaishankar in parliament
लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर हुई चर्चा ने यह स्पष्ट कर दिया कि मोदी सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीति और नीतियों में एक निर्णायक और आक्रामक दृष्टिकोण अपनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने भाषणों में यह संदेश दिया कि भारत न केवल हमलों का त्वरित जवाब देने में सक्षम है, बल्कि हर बार नये मानक भी स्थापित करता है।
सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की बात करें तो आपको बता दें कि उनका संबोधन इस बात का प्रमाण था कि अब आतंकवादियों के आकाओं को पता है कि भारत चुप नहीं बैठेगा। उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल के पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए भारत ने मात्र 22 मिनट में निर्धारित लक्ष्यों पर सटीक सैन्य प्रहार किया था। मोदी ने अपने संबोधन के माध्यम से तीन मुख्य संदेश दिए- 1. भारत अपनी शर्तों पर जवाब देगा: “अब कोई परमाणु ब्लैकमेलिंग नहीं चलेगी।” 2. इस ऑपरेशन में ‘मेड इन इंडिया’ ड्रोन और मिसाइलों का सफल प्रयोग भारत की रक्षा स्वायत्तता का प्रतीक था। 3. उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से केवल तीन देशों ने पाकिस्तान के पक्ष में बयान दिया, जबकि बाकी देशों ने भारत का समर्थन किया। मोदी ने विपक्ष पर यह आरोप भी लगाया कि उसके नेता पाकिस्तान की भाषा बोल रहे हैं और जवानों के पराक्रम को राजनीतिक चश्मे से देख रहे हैं। यह विपक्ष की नैतिक अस्थिरता को उजागर करता है।
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वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संबोधन पर गौर करें तो आपको बता दें कि उन्होंने स्पष्ट किया कि पहलगाम हमले के मास्टरमाइंड सुलेमान, अफगान और जिब्रान जैसे A-श्रेणी के आतंकियों को ‘ऑपरेशन महादेव’ में मारा गया। उन्होंने बताया कि यह अभियान भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के संयुक्त प्रयास का नतीजा था। अमित शाह ने कहा कि आतंकियों के खिलाफ सबूत इतने मजबूत थे कि उनके पाकिस्तानी मतदाता पहचान पत्र तक बरामद हुए। उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह कैसी राजनीति है कि आतंकियों के मारे जाने पर भी उनके चेहरे फीके पड़ गए।
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर को तीनों सेनाओं के समन्वय का बेमिसाल उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन का मकसद किसी क्षेत्र पर कब्जा करना नहीं, बल्कि पाकिस्तान द्वारा पाले गए आतंकवाद की नर्सरी को खत्म करना था। राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि उसने दोबारा आतंकवादी गतिविधियां कीं तो ऑपरेशन सिंदूर को पुनः शुरू करने में देर नहीं लगेगी। उन्होंने स्पष्ट कहा कि 10 मई की सुबह भारतीय वायुसेना के करारे हमलों के बाद ही पाकिस्तान ने संघर्ष विराम की पेशकश की थी।
उधर, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने विपक्ष के इस आरोप को खारिज कर दिया कि अमेरिका या अन्य देशों के दबाव में भारत ने ऑपरेशन रोका। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच इस अवधि में कोई सीधा संवाद नहीं हुआ था।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री के संबोधनों से जो मुख्य बिंदु उभर कर आये उसके मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के 193 देशों में से केवल तीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया। सिंधु जल संधि को स्थगित करना और अटारी सीमा बंद करना आतंकवाद पर भारत की सख्त नीति का संकेत था। साथ ही क्वाड, ब्रिक्स और यूएनएससी में भारत ने स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते।
देखा जाये तो मोदी सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत 22 मिनट में जवाबी कार्रवाई कर यह दिखा दिया कि अब लंबी चर्चाओं का समय खत्म हो चुका है। ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों के प्रयोग ने पाकिस्तान की मिसाइल और ड्रोन तकनीक की पोल खोल दी। साथ ही विदेश मंत्री जयशंकर के नेतृत्व में भारत ने विश्व स्तर पर यह विमर्श बनाया कि पाकिस्तान का आतंकवाद पूरी मानवता के लिए खतरा है। इसके अलावा, आतंकवादियों और उनके समर्थक देशों को अब यह समझना होगा कि भारत न केवल हमले का जवाब देगा बल्कि हमलावरों को समाप्त कर देगा।
देखा जाये तो ऑपरेशन सिंदूर ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अब प्रतिरक्षात्मक नहीं, बल्कि प्रहारक रणनीति अपनाने वाला राष्ट्र है। आतंकियों को यह संदेश मिला कि उनके आकाओं को भी सुरक्षित ठिकाने नहीं मिलेंगे। मोदी सरकार ने न केवल पाकिस्तान की सैन्य और आतंकवादी क्षमता को करारा झटका दिया है बल्कि वैश्विक मंच पर यह स्थापित कर दिया है कि भारत किसी भी बाहरी दबाव में नहीं झुकेगा। यह नया भारत आत्मनिर्भर है, निर्णायक है और अपनी जनता के हितों की रक्षा करने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
बहरहाल, संसद में दिये गये ये भाषण भारत की रक्षा नीति, आतंकी हमले का जवाब देने की नीति और विदेश नीति के परिदृश्य को दृढ़ता से प्रस्तुत करते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी सरकार ने आतंकवाद के विरुद्ध राष्ट्रीय आवाज बुलंद की है, हालांकि विपक्ष द्वारा सुरक्षा चौकसी और खुफिया विफलता पर की गई आलोचना भी ध्यान देने योग्य है। यह बहस एक समृद्ध तथ्यों और तर्कों की लड़ाई थी, जिसमें सरकार ने सफलता हासिल की, जबकि विपक्ष ने जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में प्रयास किया।
-नीरज कुमार दुबे
(इस लेख में लेखक के अपने विचार हैं।)