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उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करने बाद बोले सुदर्शन रेड्डी- ‘असहमति का सम्मान किया जाए’

उपराष्ट्रपति पद के लिए विपक्ष के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी ने गुरुवार (21 अगस्त) को नामांकन दाखिल करने के बाद प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि यह चुनाव किसी व्यक्ति के बारे में नहीं, बल्कि पूरे देश की अवधारण के बारे में है, जहां संसद निष्ठा के साथ काम करे, असहमति का सम्मान किया जाए और संस्थाएं स्वतंत्रता एवं निष्पक्षता के साथ लोगों की सेवा करें.

रेड्डी ने एक बयान में कहा, आज, मुझे विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. मैंने यह नामांकन पत्र विनम्रता, जिम्मेदारी और हमारे संविधान में निहित मूल्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की गहरी भावना के साथ दाखिल किया.

देश की असली ताकत विविधता में एकता – बी. सुदर्शन रेड्डी

सुदर्शन रेड्डी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश, विधि के छात्र और इस गणराज्य की लोकतांत्रिक परंपराओं में निहित एक नागरिक के रूप में सार्वजनिक जीवन ने उन्हें यह सिखाया है कि भारत की असली ताकत प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा, संवैधानिक नैतिकता की रक्षा और देश की विविधता में एकता में निहित है.

उन्होंने कहा, ”राज्यसभा के सभापति के रूप में उपराष्ट्रपति पर संसदीय लोकतंत्र की सर्वोच्च परंपराओं की रक्षा करने की जिम्मेदारी है. निर्वाचित होने पर, मैं निष्पक्षता, गरिमा और संवाद  के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के साथ इस भूमिका को निभाने का संकल्प लेता हूँ.”

रेड्डी ने विपक्ष का जताया आभार

रेड्डी का कहना है, ”मैं विपक्षी दलों के नेताओं का मुझ पर भरोसा जताने के लिए और उन अनगिनत नागरिकों का भी तहे दिल से आभारी हूँ जो न्याय, समानता और सद्भाव के इस सामूहिक संघर्ष को प्रेरित करते रहते हैं.” उन्होंने कहा, ”अपने संविधान में आस्था और अपने लोगों में आशा के साथ, मैं इस यात्रा पर निकल पड़ा हूँ. हमारी लोकतांत्रिक भावना हम सभी का मार्गदर्शन करती रहे, यही कामना है.”

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