रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका की शांति पहल के बीच रूसी सेना ने रात भर दागे ड्रोन,कहा-‘हमारे बिना…

रूस-यूक्रेन युद्ध ने 4 साल होने को आ रहे हैं. हालांकि, हालात अब भी तनावपूर्ण बने हुए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति लगातार यह कोशिश कर रहे हैं कि दोनों देशों को एक साथ शांति वार्ता की टेबल पर लाया जाए. उन्होंने रूस और यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्षों से अलग-अलग बातचीत की और अब उनके आमने-सामने बैठाने की तैयारी है. यह पहल वैश्विक राजनीति में बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देश इस संघर्ष को नियंत्रित करने और क्षेत्रीय स्थिरता बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि अमेरिका की कोशिशों के बावजूद हालात काबू में आते नहीं दिख रहे हैं. रूस और यूक्रेन दोनों तरफ से हवाई और ड्रोन हमले जारी हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि बार-बार की गई वार्ताओं के बावजूद युद्धविराम (सीजफायर) की ठोस नींव कब रखी जाएगी.
21 अगस्त को रूस ने यूक्रेन के कई इलाकों में मिसाइल और ड्रोन से बड़े हमले किए. इसमें पश्चिमी यूक्रेन के वे क्षेत्र भी शामिल थे, जो फ्रंटलाइन से काफी दूर हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिवने ओब्लास्ट में जोरदार धमाकों की आवाज सुनी गई और रूस के मिग-31 लड़ाकू विमानों के उड़ान भरने की भी पुष्टि हुई. यूक्रेन की राजधानी कीव में भी शाहिद ड्रोन उड़ते देखे गए. सुबह लगभग 4 बजे एयर डिफेंस सिस्टम सक्रिय हो गया और रूसी ड्रोन को रोकने की कोशिश की गई.
यूक्रेनी वायु सेना ने बताया कि रूस ने ल्विव, टर्नोपिल और खमेलनित्सकी ओब्लास्ट में दर्जनों ड्रोन दागे. ल्विव ओब्लास्ट के जोलोचिव जिले में ड्रोन की मौजूदगी की पुष्टि स्थानीय गवर्नर ने की. रूस के इन हमलों से साफ होता है कि शांति वार्ता के बावजूद सैन्य तनाव कम नहीं हो रहा है. दोनों पक्ष अपने-अपने मोर्चे पर आक्रामक रुख बनाए हुए हैं.
रूस की सुरक्षा गारंटी और पश्चिमी देशों की चुनौती
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने स्पष्ट कहा कि अगर पश्चिमी देश यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देना चाहते हैं तो रूस को इस प्रक्रिया में शामिल करना अनिवार्य है. उनके अनुसार, रूस को शामिल किए बिना कोई भी सुरक्षा समझौता सिर्फ कल्पना होगा और उसका कोई व्यावहारिक असर नहीं होगा. यह बयान ऐसे समय में आया जब नाटो देशों के शीर्ष अधिकारी एक वर्चुअल बैठक में यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी और शांति समझौते पर चर्चा कर रहे थे. लावरोव का यह रुख बताता है कि रूस अपनी भूमिका को अनदेखा नहीं होने देगा. वहीं अमेरिका और पश्चिमी देश रूस की शर्तों को मानने के लिए तैयार नहीं दिखते. यही वजह है कि सीजफायर पर सहमति बनना बेहद कठिन साबित हो रहा है.
क्या जल्द होगा युद्धविराम?
पिछले 3 सालों में रूस और यूक्रेन के बीच कई बैठकें हुई हैं, लेकिन अब तक किसी ने भी युद्धविराम की गारंटी नहीं दी. अमेरिका की सक्रिय भागीदारी से उम्मीदें जरूर जगी हैं, लेकिन ताजा हालात यह दिखा रहे हैं कि सैन्य टकराव और कूटनीतिक बातचीत साथ-साथ चल रही हैं. कई विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक दोनों पक्षों को वास्तविक राजनीतिक और सुरक्षा गारंटी नहीं मिलती, तब तक सीजफायर पर सहमति संभव नहीं है. रूस पश्चिम को चुनौती देने से पीछे नहीं हटेगा और यूक्रेन अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ता रहेगा. ऐसे में यह युद्ध अभी और लंबा खिंच सकता है.