Big revelation in Archana Tiwari missing mystery | अर्चना बोली- कॉन्स्टेबल राम तोमर कॉल-मैसेज…

अर्चना इंदौर से हैदराबाद, दिल्ली और काठमांडू पहुंची। 12 दिनों के दौरान उसने भारत-नेपाल के 10 शहरों की यात्रा तय की।
नर्मदा एक्सप्रेस ट्रेन के एसी कोच से गायब हुई एडवोकेट अर्चना तिवारी को 13 दिन बाद बुधवार को सकुशल बरामद कर जीआरपी ने परिजन के सुपुर्द कर दिया। इंदौर में सिविल जज की तैयारी कर रही अर्चना तिवारी कटनी में छात्र नेता भी रही है। बरामदगी के बाद पुलिस को दि
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अर्चना ने पुलिस को बताया कि ग्वालियर का कॉन्स्टेबल राम सिंह तोमर उसे लगातार कॉल कर परेशान करता था। वह उसे जबलपुर से जानती है, तब वहां प्रैक्टिस करती थी। राम भी वहीं था और कई केस उसके पास लाया करता था। जबलपुर छोड़ने के बाद भी राम तोमर उसे लगातार कॉल और मैसेज कर तंग करता था।
अर्चना ने शुजालपुर के सारांश जोगचंद्र को करीबी दोस्त बताया है। उसी ने अर्चना की लापता रहने के दौरान सबसे अधिक मदद की। बयान से ये भी पता चला कि सारांश उस दिन अर्चना के साथ ट्रेन में था। हालांकि पहले अर्चना ने बताया था कि सारांश को उसने शुजालपुर से इटारसी बुलाया था। अर्चना ने बताया कि इसी महीने के पहले हफ्ते में उसने सारांश के साथ हरदा में ढाबे में बैठकर भागने कि प्लानिंग बनाई थी।
अर्चना बोली- पढ़ाई छोड़ने का दबाव बनाते थे परिजन एसपी रेल राहुल कुमार लोढ़ा ने बताया कि जांच में पता चला है कि अर्चना तिवारी की शुजालपुर के रहने वाले सारांश जोगचंद्र से इंदौर में दोस्ती हुई थी। दोनों एक ही ट्रेन में उस दिन (7 अगस्त) यात्रा कर रहे थे।
घरवालों ने एक पटवारी के साथ अर्चना का रिश्ता तय किया था। परिजन उस पर पढ़ाई छोड़कर शादी का दबाव बना रहे थे। इसी महीने के पहले हफ्ते में अर्चना ने सारांश से हरदा में ढाबे में बैठकर बात की और भागने कि प्लानिंग बनाई। हालांकि बाद में भागने की प्लानिंग कैंसिल कर गुमशुदगी की साजिश रची।
भोपाल जीआरपी ने अर्चना को कटनी से आए परिजन के सुपुर्द कर दिया है।
सोचा था जीआरपी मिसिंग केस पर ध्यान नहीं देगी रेल एसपी ने कहा- अर्चना तिवारी को लगा था कि जीआरपी मिसिंग केस पर इतना ध्यान नहीं देगी। उसने ऐसी जगह से भागने की प्लानिंग बनाई जहां पर सीसीटीवी न हो। नर्मदापुरम निवासी तेजेंदर सिंह ने अर्चना को नर्मदापुरम में ट्रेन में कपड़े दिए।
अर्चना B-3 कोच से A-2 कोच में जाकर आउटर से बाहर निकल गई। वहां पर कोई सीसीटीवी नहीं था। उसने तेजेंदर को बागतवा के जंगलों में मोबाइल फेंकने को कहा। इसके बाद अर्चना सारांश के साथ कार से चली गई। उसी रात चोरी के एक मामले में तेजेंदर को दिल्ली पुलिस ले गई।
अर्चना का अपने परिजन से शादी के दबाव के कारण लगातार विवाद था।
ट्रेन में सामान छोड़ा, ताकि लगे कहीं गिर गई है अर्चना ने जानबूझकर ट्रेन में सामान छोड़ा ताकि पुलिस को लगे कि अर्चना कहीं गिर गई है। मोबाइल भी जंगल के पास बंद हुआ। सारांश से वह वॉट्सऐप कॉल पर बात करती थी। इसलिए पुलिस को CDR नहीं मिला। सारांश को जब पुलिस ने उठाया तो मामले की परतें खुलने लगीं। दोनों ने यात्रा के दौरान टोल को भी अवॉइड किया।
अब जानिए अर्चना 12 दिन तक कहां-कहां रही…?
पहले हैदराबाद गई, फिर नेपाल जाने की प्लानिंग की मामले के तूल पकड़ने के बाद अर्चना ने दूसरे राज्यों में जाने की प्लानिंग की। वह पहले हैदराबाद गई, फिर नेपाल जाने की प्लानिंग की। वह बस के जरिए दिल्ली होते हुए काठमांडू चली गई। सारांश वापस आ गया था। उसने जानबूझकर अपना मोबाइल इंदौर में छोड़ रखा था।
सारांश को राउंडअप करने के बाद अर्चना को बॉर्डर तक बुलाकर पुलिस ने बरामद किया। फिर दिल्ली के रास्ते बुधवार (20 अगस्त) को फ्लाइट से उसे भोपाल लेकर आई।
अर्चना ने 12 दिनों के दौरान दो देश और 12 शहरों का सफर किया।
कॉन्स्टेबल का रोल नहीं, लेकिन वह तंग कर रहा था जांच में पता चला कि तेजेंदर और सारांश इंदौर में आमने-सामने रहते थे। दोनों का पैसे का लेन-देन था। कॉन्स्टेबल राम तोमर की गुमशुदगी केस में कोई भूमिका नहीं है। लेकिन, वह लगातार अर्चना को फोन करता था, जिससे वह परेशान थी। कई बार राम ने अर्चना का टिकट भी कराया था।
वहीं, अर्चना ने सारांश के साथ अफेयर से इनकार किया है। अर्चना का परिजन से लगातार शादी के दबाव के कारण विवाद था। उसने पूरे होश-ओ-हवास में ये काम किया है। मास्टरमाइंड अर्चना खुद थी और तीन लोगों ने प्लानिंग को अंजाम तक पहुंचाने में मदद की थी।
कटनी जीआरपी और इंदौर पुलिस ने ग्वालियर जाकर आरक्षक राम से पूछताछ की।
रक्षाबंधन पर इंदौर से कटनी जाने के लिए निकली थी 28 साल की अर्चना तिवारी कटनी जिले की रहने वाली है। वह इंदौर के सत्कार छात्रावास में रहकर सिविल जज की तैयारी कर रही थी। रक्षाबंधन पर वह अपने घर जाने के लिए इंदौर से नर्मदा एक्सप्रेस के एसी कोच बी-3 से यात्रा कर रही थी।
ट्रेन कटनी पहुंची, लेकिन अर्चना बी-3 कोच में नहीं थी 8 अगस्त की सुबह ट्रेन कटनी पहुंची, लेकिन उसमें से अर्चना नहीं उतरी। इससे उसके परिजन परेशान हो गए। उन्होंने फौरन उमरिया में रहने वाले अर्चना के मामा को सूचना दी। ट्रेन के उमरिया पहुंचने पर उसके मामा एसी कोच की बी-3 सीट पर पहुंचे, जहां अर्चना का पर्स समेत अन्य सामान रखा हुआ था।
एक बैग में उसके कपड़े भी रखे थे, लेकिन अर्चना सीट पर नहीं थी। इस दौरान आसपास के यात्रियों ने उसके मामा को बताया कि रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के बाद से ही लड़की अपनी सीट पर नहीं दिखी।
सफर के दौरान चाची से हुई थी आखिरी बार बात अर्चना के अचानक लापता होने से उसके परिवार वाले हैरान-परेशान थे। परिजन की शिकायत पर रेलवे पुलिस ने केस दर्ज कर उसकी तलाश शुरू की। जांच में पता चला कि सफर के दौरान अर्चना की आखिरी बार चाची से बात हुई थी, तब वह भोपाल में थी। इसके बाद उसका नंबर बंद हो गया था।
अगले दिन यानी 9 अगस्त को पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज खंगाले और अन्य तरीके से भी जांच शुरू की। इस दौरान पुलिस को उसकी आखिरी लोकेशन इटारसी में मिली। इसके बाद जीआरपी अर्चना को तलाशते हुए इटारसी पहुंची, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
अगले दिन 13 अगस्त को नर्मदापुरम रेलवे स्टेशन समेत नर्मदा नदी और आसपास से इलाकों में भी अर्चना को तलाश किया गया, लेकिन सुराग हाथ नहीं लगा था।
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