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‘महिलाओं के खिलाफ हिंसा का काला इतिहास’, भारत ने UN में खोली पाकिस्तान की पोल

भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि पाकिस्तान मानवाधिकारों का रक्षक होने का ढोंग करता है, लेकिन 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान शुरू हुआ उसका यौन हिंसा और महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराधों का ‘शर्मनाक इतिहास’ आज भी बिना किसी सजा के जारी है.

भारत के स्थायी मिशन के प्रभारी एल्डोस मैथ्यू पुन्नूस ने मंगलवार (19 अगस्त, 2025) को कहा, ‘पाकिस्तान की सेना ने 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के जघन्य अपराधों को जिस बेशर्मी से अंजाम दिया, वह इतिहास में दर्ज है.’ उन्होंने भारत पर पाकिस्तान के आरोपों का जवाब देते हुए कहा, ‘यह निंदनीय सिलसिला आज भी बिना किसी रोक-टोक के जारी है.’

4,00,000 महिलाओं के साथ बलात्कार की घटना

पुन्नूस ने यह बयान पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिकार अहमद की ओर से भारत के खिलाफ लगाए गए आरोपों के जवाब में दिया. 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना और उसके सहयोगियों ने पूर्वी पाकिस्तान में लगभग 4,00,000 महिलाओं के साथ बलात्कार की सुनियोजित घटनाओं को अंजाम दिया था. यह विडंबना है कि जो लोग इन अपराधों को अंजाम देते हैं, वे अब न्याय के रक्षक होने का ढोंग कर रहे हैं. 

उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान की दोमुंही और पाखंडी नीति स्पष्ट है.’ सुरक्षा परिषद में चर्चा का विषय ‘संघर्ष क्षेत्रों में यौन हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए जीवन रक्षक सेवाओं और संरक्षण तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए नवीन रणनीतियां’ था, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा की तरह विषय से हटकर कश्मीर का मुद्दा उठाकर भारत पर हमला किया.

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों में अपराध दर्ज

पुन्नूस ने पाकिस्तान की ओर से महिलाओं के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले अपराधों की श्रृंखला का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने इन अपराधों को दर्ज किया है. उन्होंने बताया, ‘पाकिस्तान में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदायों की हजारों कमजोर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ अपहरण, तस्करी, बाल विवाह, जबरन शादी, यौन हिंसा और जबरन धर्म परिवर्तन जैसे अपराधों की व्यापकता दर्ज की गई है.’

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) की हालिया रिपोर्ट में भी इनका उल्लेख है. उन्होंने कहा कि ओएचसीएचआर की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में विशेष रूप से ईशनिंदा के आरोप में हिरासत में रखी गई महिलाएं गंभीर लैंगिक हिंसा का सामना करती हैं.

महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा

पिछले महीने जारी विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट में कहा गया, ‘हमें उन समुदायों के खिलाफ बढ़ती हिंसा की खबरों से झटका लगा है, जो अपने धर्म या विश्वास के आधार पर लगातार हमलों, हत्याओं और उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं.’ ओएचसीएचआर की मानवाधिकार समिति ने दिसंबर में पाकिस्तान की स्थिति की व्यापक समीक्षा में कहा कि वह महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हत्या, बलात्कार, अपहरण और घरेलू हिंसा सहित उच्च स्तर की हिंसा से चिंतित है.

पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र मिशन और एक फिलस्तीनी पत्रकार की ओर से समन्वित हमले में महासचिव की यौन हिंसा मामलों की विशेष प्रतिनिधि प्रमिला पैटन पर सवाल उठाए गए. पत्रकार ने महासचिव के प्रवक्ता से पूछा कि पाकिस्तान के राजदूत के आरोपों को पैटन की टिप्पणियों में क्यों शामिल नहीं किया गया. प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने इसे टालते हुए कहा, ‘मुझे लगता है कि कार्यालय के पास जो भी जानकारी थी, उसके आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई. मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता.’

संसाधनों में कटौती के कारण संकट

पैटन ने चेतावनी दी कि यौन हिंसा की शिकार महिलाओं को सहायता के लिए संसाधनों में कटौती के कारण संकट का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, ‘हमें बताया जाता है कि जीवन रक्षक सहायता के लिए कोई पैसा नहीं है, जबकि सैन्य खर्च बढ़ रहा है और दुनिया हथियारों पर 24 घंटे में जितना खर्च करती है, उससे कहीं कम एक साल में संघर्ष क्षेत्रों में लैंगिक हिंसा को संबोधित करने के लिए खर्च करती है.’

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