‘अमित शाह के मुंह पर पत्थर मारे’, संसद में विपक्षी सांसदों ने बिल की कॉपी फाड़कर फेंकी तो क्या…

लोकसभा में बुधवार (20 अगस्त, 2025) को मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक को हटाने वाले बिल पर विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया. विपक्षी सांसदों ने सदन में बिल की कॉपी फाड़कर गृहमंत्री की ओर फेंकी. इसको लेकर मंडी से बीजेपी सांसद कंगना रनौत का रिएक्शन सामने आया है.
विपक्ष के हंगामे पर क्या बोलीं कंगना रनौत?
कंगना रनौत ने कहा, ‘संसद में जो आज हुआ, जिस तरह का दृश्य हमने देखा, वह किसी भी सभ्य समाज को शर्मिंदा कर देगा. जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में विधेयक पेश कर रहे थे, तब विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने उनका माइक हटाने की कोशिश की. यहां तक विपक्षी नेताओं ने विधेयक को फाड़कर गृह मंत्री अमित शाह के मुंह पर फेंक दिया. इसके अलावा, उनमें कई लोग ऐसे भी लोग थे, जो पत्थर लेकर आए थे. उन्होंने गृह मंत्री के मुंह पर पत्थर मारे.’
उन्होंने कहा, ‘जिस तरह से विपक्षी पार्टियों के सांसद हिंसा कर रहे थे, उस समय हमारी पार्टी के नेताओं ने बहुत संयम से काम लिया, लेकिन संसद के भीतर कब तक ऐसा कब तक चलता रहेगा, यह सबसे बड़ी चिंता का विषय है.’
VIDEO | Monsoon Session: On ruckus in Parliament, BJP MP Kangana Ranaut (@KanganaTeam) says, “The way it happened in Parliament, any civilised society would be embarrassed. Opposition leaders tried to remove the mic of Home Minister Amit Shah when he was speaking about the Bill,… pic.twitter.com/upK7r66DpO
— Press Trust of India (@PTI_News) August 20, 2025
अमित शाह ने पेश किया था बिल
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार (20 अगस्त, 2025) को मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में संविधान में 130वां संशोधन करने के लिए विधेयक पेश किया. अमित शाह ने जो विधेयक पेश किया, उसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के लगातार 30 दिनों की हिरासत में रहने पर उन्हें इस्तीफा देने अन्यथा उसे पद से निरस्त करने का प्रावधान किया गया है.
विपक्ष ने की विधेयक की कड़ी आलोचना
जैसे ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया, वैसे ही विपक्ष के नेताओं ने हंगामा करना शुरू कर दिया. विपक्ष ने नेताओं ने इस विधेयक की कड़ी आलोचना करते हुए इसे वापस लेने की मांग भी की. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने इस विधेयक को असंवैधानिक करार देते हुए कहा, ‘यह विधेयक राज्य की संस्थाओं की ओर से राजनीतिक दुरुपयोग करने के लिए दरवाजे भी खोलता है, जिनके मनमाने आचरण पर सुप्रीम कोर्ट बार-बार आपत्ति जता चुका है.’
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