‘इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता, लेकिन…’, PM और CM को हटाने वाले बिल पर आया शशि थरूर का पहला…

लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यों के मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक को 30 दिन की हिरासत में रहने पर उन्हें हटाए जाने को लेकर बिल पेश किया, जिसे विपक्ष के विरोध के बाद संयुक्त संसदीय कमेटी के पास भेज दिया गया है. इस बिल पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर का पहला रिएक्शन आया है.
इस बिल पर क्या बोले शशि थरूर?
शशि थरूर ने कहा कि मैंने अभी तक इस विधेयक को पढ़ा नहीं है, लेकिन शुरुआती तौर पर मुझे इस बिल में कुछ भी गलत नहीं दिख रहा कि दोषी व्यक्तियों को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए. अगर आप 30 दिन जेल में बिताते हैं तो क्या आप मंत्री बने रह सकते हैं? यह तो कॉमन सेंस की बात है. इसलिए मुझे तो इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता. लेकिन अगर इस पीछे कोई और सोच है तो इस बिल को अच्छे से पढ़ना पड़ेगा. मैं बिना अध्ययन किए न तो इस बिल का समर्थन कर रहा हूं और न हीं इसका विरोध कर रहा हूं.
JPC में भेजा गया बिल तो क्या बोले थरूर?
विधेयक को जेपीसी के पास भेजे जाने के सवाल पर थरूर ने कहा, ‘अगर विधेयक पर चर्चा करने के लिए इसे जेपीसी के पास भेजा जाता है तो यह अच्छी बात है. मुझे लगता है कि हमारी लोकतंत्र के लिए यह जरूरी है कि समिति के भीतर सारे विषयों पर चर्चा की जाए.
इस बिल का विरोध कर रहा है विपक्ष?
अमित शाह ने जैसे ही इस बिल को लोकसभा में पेश किया, वैसे ही विपक्षी सांसदों ने इस पर हंगामा किया. यहां तक कि बिल की प्रतियां फाड़कर अमित शाह के ऊपर उछाल दीं. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे एक बेहद कठोर विधेयक करार दिया है. उन्होंने कहा, ‘कल आप किसी भी मुख्यमंत्री पर कोई भी केस दर्ज कर सकते हैं, उनकी दोषसिद्धि के बिना उन्हें 30 दिनों तक जेल में रख सकते हैं और फिर वह मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे? यह पूरी तरह असंवैधानिक है.’
जिन बिलों पर मचा है बवाल, उनमें क्या था प्रावधान?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में संविधान का 130वां संशोधन विधेयक पेश किया. इस विधेयक के मुताबिक, प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति से लेकर किसी भी मंत्री तक को अगर किसी आपराधिक मामले में लगातार 30 दिनों तक जेल में रखा जाता है, तो उन्हें 31वें दिन उन्हें अपने इस्तीफा देना होगा, अन्यथा उन्हें पद से हटा दिया जाएगा.
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