‘किसी इंस्पेक्टर को प्रधानमंत्री का बॉस नहीं बना सकते’, संसद में अमित शाह ने पेश किया बिल तो…

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से संसद में पेश होने वाले तीनों विधेयकों पर बयान दिया है. कांग्रेस सांसद ने बुधवार (20 अगस्त, 2025) को कहा कि ये तीनें विधेयक भारत के संविधान के मूलभूत स्वरूप से खिलाफ हैं. भारत का संविधान कहता है कि आप तब तक बेगुनाह हैं, जब तक आपका गुनाह साबित नहीं होता. उन्होंने कहा, ‘आप किसी जांच अधिकारी या SHO को हमारे प्रधानमंत्री का बॉस नहीं बना सकते हैं.’
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने लोकसभा में कहा, ‘भारत के संविधान का मूलभूल ढांचा यह कहता है कि कानून का राज होना चाहिए और उस कानून की राज की बुनियाद है कि आप बेगुनाह हैं, जब आपका गुनाह साबित नहीं किया जाता है.’
विधेयक संविधान की धारा 21 का करता है उल्लंघन: मनीष तिवारी
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘संविधान में संशोधन के लिए पेश किया गया यह विधेयक संविधान की धारा 21 का उल्लंघन करता है. जिसके तहत एफआईआर, गिरफ्तारी, चार्जशीट और किसी भी तरह से गुनाहों की पुष्टि होने पर व्यक्ति को दोषी करार दिया जा सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘यह बिल संसद में लोकतंत्र को हानि पहुंचाता है, जो संविधान के मूलभूत ढांचे में शामिल है. यह जनता की आवाज को कुचलने की कोशिश है.’ उन्होंने कहा, ‘यह विधेयक राज्य की संस्थाओं की ओर से राजनीतिक दुरुपयोग करने के लिए दरवाजे भी खोलता है, जिनके मनमाने आचरण पर सुप्रीम कोर्ट बार-बार आपत्ति जता चुका है.’
यह विधेयक सभी संवैधानिक उपायों को करता है नजरअंदाज: मनीष तिवारी
उन्होंने आगे कहा, ‘यह विधेयक सामूहिक उत्तरदायित्व, न्यायिक समीक्षा, अविश्वास प्रस्ताव, अयोग्या और दोषसिद्धि के सभी मौजूदा संवैधानिक सुरक्षा उपायों को नजरअंदाज करता है. ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से संविधान में 130वां संशोधन करने के लिए पेश किया गया यह विधेयक पूरी तरह से गैर-जरूरी और असंवैधानिक बन जाता है. इसलिए मैं इस तीनों विधेयकों का पूरजोर विरोध करता हूं और गृह मंत्री से अनुरोध करता हूं कि इन तीनों विधेयकों को वापस लिया जाए.”
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