Haryana Rohtak Bhiwani Manisha death case | expert view | मनीषा केस में लीगल एक्सपर्ट बोले-…

एडवोकेट प्रदीप मलिक ने मनीषा के केस की जांच पर कई सवाल उठाए हैं।
हरियाणा के भिवानी में लेडी टीचर मनीषा (19) की मौत की थ्योरी लगातार सवालों के घेरे में है। अब रोहतक के सीनियर एडवोकेट प्रदीप मलिक ने इस पूरे मामले और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने अंदेशा जताया कि इस केस में पुलिस तथ्य छिपाने की को
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साल 2015 में रोहतक में नेपाली युवती से दरिंदगी का चर्चित मामला हुआ। उस मामले में एडवोकेट प्रदीप मलिक ने ही 7 दोषियों को कोर्ट से फांसी की सजा दिलवाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी थी।
प्रदीप मलिक ने मंगलवार को मनीषा के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट का एक अंश डालते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। लिखा- मनीषा के भिवानी में हुए पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की ये लाइनें बताने के लिए काफी हैं कि उसका शोषण हुआ और गला घोंट दिया गया था।
बाद में जब एडवोकेट मलिक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मनीषा को न्याय दिलाने के लिए चल रहे धरने से जुड़े लोगों ने ही उन्हें पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट उपलब्ध करवाई। इससे लगता है कि केस को सुसाइड में कंवर्ट करने का प्रयास किया जा रहा है। भिवानी व रोहतक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आपस में मेल नहीं खा रहीं, दोनों एक-दूसरे से काफी अलग है।
उन्होंने कहा कि भिवानी अस्पताल की रिपोर्ट में मनीषा की सलवार पर एग्रेशन के मार्क मिले, जबकि रोहतक PGI की रिपोर्ट में यह बात नहीं है। मौके से जहर की कोई शीशी भी मिली क्या? मनीषा गायब हुई 11 अगस्त को, 12 को मिसिंग रिपोर्ट दर्ज हुई और 13 को बॉडी मिली, जो साढ़े 4 बजे से पहले ही सिविल अस्पताल भी पहुंच गई।
मनीषा के कॉलेज से करीब 500 मीटर दूर खेत में यहां उसका शव मिला था। पुलिस ने इस जगह को सील कर रखा है।
जानिए, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के किन पॉइंट्स पर सवाल उठ रहे…
मनीषा ने किस समय खरीदा जहर एडवोकेट प्रदीप मलिक ने कहा कि मनीषा सुबह 8 बजे घर से निकली तो उसने इनसेक्टीसाइड की बोतल कब खरीदी? क्योंकि 8 बजे से पहले कोई दुकान तो खुलती नहीं। जहर खरीदने के बाद मनीषा किस समय घटनास्थल पर पहुंची? शव इतनी जल्दी कैसे डिकंपोज हो गया, जिस लेवल का पुलिस बता रही है? क्योंकि, उसके लिए तो काफी समय लगता है। मनीषा ने जहर खाने के लिए ऐसी जगह क्यों चुनी, जहां उसे 10 लोग देख सकते थे?
मनीषा की सलवार पर एग्रेशन के मार्क एडवोकेट प्रदीप मलिक ने बताया कि भिवानी में हुए पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में जिक्र है कि मनीषा की सलवार पर एग्रेशन के मार्क थे। उसका नाड़ा खुला हुआ था। अंडरवियर पर एग्रेशन के मार्क थे। स्टूल पास कर रखा था। अगर कोई जहर खाता है तो वह अपने कपड़े क्यों खोलेगा? ये सारी चीजें PGI रोहतक में हुए दूसरे पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट में छुपाई गईं। अगर वे पहली रिपोर्ट पढ़ लेते तो यह नहीं कहते कि सीमन नहीं मिला तो रेप नहीं हुआ।
सिर्फ चेहरा ही क्यों खाया गया? एडवोकेट ने आगे कहा कि जहां मनीषा ने कपड़े पहन रखे थे, वहां कोई निशान नहीं हैं। जूती काफी दूर पड़ी मिली। केवल चेहरे को ही क्यों खाया गया? गर्दन के हिस्से को ही क्यों काटा? बाकी जगह क्यों नहीं काटा?
घटनास्थल पर नहीं मिली कोई जहर की शीशी प्रदीप मलिक ने कहा कि घटनास्थल पर जहर या इनसेक्टीसाइड की कोई शीशी नहीं मिली। जहर खरीदने की कोई पर्ची नहीं मिली। अगर कोई चीज मिली तो फोरेंसिक टीम बताए कि उसे क्या कोई जहर की शीशी मिली है? जहर खाने के लिए क्या कोई पानी की बोतल घटनास्थल पर मिली? मनीषा के सिवाय गर्दन के ऊपर के, अन्य कोई ऑर्गन मिस नहीं है।
जो नोट मिला, वह सुसाइड नोट नहीं एडवोकेट प्रदीप मलिक ने कहा कि जो नोट पुलिस दिखा रही है, वह सुसाइड नोट नहीं है। उसमें यह कहीं नहीं लिखा कि मैं अपनी जान देने जा रही हूं। उसमें सिर्फ लिखा है कि मैं जा रही हूं। यह कहीं नहीं कहा कि मैं मरने जा रही हूं। इस मामले में बहुत सारी चीजों को छुपाया जा रहा है, दबाया जा रहा है। उस नोट में मनीषा की लिखावट ही नहीं है, उसमें पूरा झोल है।
बॉडी पर कैसे लग सकती है मिट्टी? प्रदीप मलिक ने कहा कि रोहतक वाली पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में आया कि हाथ गलने लगे थे। जबकि, वीडियो में उसके हाथ बिल्कुल ठीक हैं। भिवानी में जब पोस्टमॉर्टम किया गया होगा, तो बॉडी को साफ किया गया होगा। जबकि, पीजीआई की रिपोर्ट में है कि बॉडी मिट्टी से सनी हुई थी।
रोहतक की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट कहती है कि उसके इंटरनल ऑर्गन गायब हैं, जबकि भिवानी वाली रिपोर्ट में है कि यूटरस और ओवरी पूरा जांच के लिए भेजा है, बाकी ऑर्गन के टुकड़े लिए हैं। जब बाकी बॉडी पार्ट के टुकड़े लिए हैं तो रोहतक टीम कैसे कह रही है कि इंटरनल ऑर्गन नहीं थे?
घटनास्थल पर क्या कहीं जानवर के पंजों के निशान मिले? प्रदीप मलिक ने कहा कि जहां मनीषा की बॉडी मिली, वहां टायरों के निशान, शराब की बोतल तो पड़ी हैं, लेकिन कहीं जानवर के पैरों के निशान नहीं मिले। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कहा गया कि शव के चेहरे-गर्दन जानवर ने खा रखे हैं तो उसके निशान कहीं नहीं मिले। कपड़ों पर भी किसी जानवर के पैरों के निशान नहीं हैं। इससे अंदेशा होता है कि तथ्य छिपाए जा रहे हैं।
दो बार पोस्टमॉर्टम, फिर भी परिजन संतुष्ट नहीं बता दें कि 13 अगस्त को मनीषा का शव मिलने के बाद पहले भिवानी में सरकारी चिकित्सकों के पैनल ने पोस्टमॉर्टम किया। परिजन संतुष्ट नहीं हुए तो दोबारा PGI रोहतक में डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमॉर्टम किया। तब सामने आया कि शव के इंटरनल ऑर्गन तो भिवानी के मेडिकल बोर्ड ने ही पहले ही निकालकर फोरेंसिक साइंस लैब में भेज दिए थे। तब PGI के पैनल ने इंटरनल ऑर्गन पर भिवानी के पैनल के ओपिनियन मांगे। साथ ही फोरेंसिक लैब की रिपोर्ट और मनीषा के शव पर पड़े कपड़े जांच के लिए मांगे थे।
2015 में नेपाली युवती दुराचार-हत्याकांड में आरोपियों को फांसी की सजा दिलवाई फरवरी 2015 में रोहतक में नेपाली युवती से दुराचार के बाद मर्डर केस खूब सुर्खियों में रहा था। फरवरी से 22 दिसंबर तक करीब 11 महीने तक चले इस केस में पुलिस की तरफ से 550 पन्नों का चालान पेश किया गया था, जिसमें 66 गवाह बनाए थे।
उनमें से 59 गवाहों के बयान दर्ज किए थे। दिवंगत पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए खूब आवाज उठी। एडवोकेट प्रदीप मलिक ने केस में पैरवी की। इस केस में 7 आरोपियों को फांसी की सजा दिलवाने में अहम भूमिका निभाई थी। कोर्ट ने 256 पन्नों का फैसला दिया था।
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