Jammu Kashmir Reorganisation Amendment bill 2025 in Lok Sabha | गंभीर केस में गिरफ्तारी पर…

नई दिल्ली4 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
अमित शाह तीनों बिलों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने के लिए लोकसभा में प्रस्ताव भी पेश करेंगे।
केंद्र सरकार गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार होने या हिरासत में लिए जाने पर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का कानून बनाने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुधवार को इसके लिए संसद में तीन बिल पेश करेंगे।
इन बिल के प्रावधानों के तहत, अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री में से किसी को भी गंभीर अपराधों के लिए गिरफ्तार किया जाता है, जिनमें कम से कम पांच साल की जेल की सजा हो सकती है और उन्हें लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है, तो 31वें दिन उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।
ये बिल हैं- गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025, 130वां संविधान संशोधन बिल 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025। अमित शाह इन तीनों बिलों को संसद की संयुक्त समिति को भेजने के लिए लोकसभा में प्रस्ताव भी पेश करेंगे।
अब तीनों बिल के बारे में जानिए-
1. गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज (संशोधन) बिल 2025- केंद्र सरकार के मुताबिक, अभी केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 (1963 का 20) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है।
इसलिए, ऐसे मामलों में मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट, 1963 की धारा 45 में संशोधन की आवश्यकता है।
2. 130वां संविधान संशोधन बिल 2025- केंद्र ने इस बिल को लेकर बताया कि संविधान में किसी ऐसे मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है जिसे गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार किया गया हो और हिरासत में लिया गया हो।
इसलिए ऐसे मामलों में प्रधानमंत्री या केंद्रीय मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री और राज्यों या नेशनल कैपिटल टेरिटरी दिल्ली के मुख्यमंत्री या मंत्रिपरिषद के किसी मंत्री को हटाने के लिए एक कानूनी ढांचा तैयार करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन की जरूरत है।
3. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) बिल 2025- जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 (2019 का 34) के तहत गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है।
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन के बाद गंभीर आपराधिक केस में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को 30 दिन में हटाने का प्रावधान होगा।
केजरीवाल ने गिरफ्तारी के बाद भी इस्तीफा नहीं दिया था केंद्र सरकार का मानना है कि ये तीनों बिल लोकतंत्र और सुशासन की साख मजबूत करेगा। अब तक, संविधान के तहत, केवल दोषी ठहराए गए जनप्रतिनिधियों को ही पद से हटाया जा सकता था। मौजूदा कानूनों में संवैधानिक पद पर बैठे नेताओं को हटाने को लेकर स्पष्ट व्यवस्था नहीं है।
इसको लेकर कानूनी और सियासी विवाद होते हैं। बता दें, दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल ईडी के मामले में गिरफ्तारी के बाद भी पद पर थे। जमानत के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया। तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी ने भी विभिन्न आरोपों में गिरफ्तारी के बाद भी अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया था।
शाह आज जो तीन बिल को पेश करेंगे, उनमें आपराधिक आरोपों के प्रकार को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन अपराध के लिए कम से कम पांच साल की जेल की सजा होनी चाहिए। इसमें हत्या और यहां तक कि बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार जैसे गंभीर अपराध भी शामिल होंगे।
==================== यह खबर भी पढ़ें
जम्मू-कश्मीर को दोबारा राज्य बनाने का मामला, कोर्ट ने केंद्र से 8 हफ्तों में जवाब मांगा
सुप्रीम कोर्ट में 8 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा दोबारा बहाल करने के मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र सरकार से आठ हफ्तों के अंदर लिखित जवाब मांगा। कोर्ट ने अप्रैल में हुए पहलगाम आतंकी हमले का भी जिक्र किया। पढ़ें पूरी खबर