राष्ट्रीय

From Mung-Fenugreek experiment to Gaganyaan, conversation between Modi and Shubhanshu | मोदी ने…

लखनऊ के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला ने सोमवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। PM मोदी ने शुभांशु से हाथ मिलाया और गले लगा लिया। पीठ थपथपाते हुए उन्हें शाबाशी भी दी। इस दौरान पीएम मोदी ने लगभग 8 मिनट तक शुभांशु का इंटरव्यू लिया।

.

अंतरिक्ष मिशन, होमवर्क प्रोजेक्ट, माइक्रोग्रैविटी एक्सपीरियंस और गगनयान कार्यक्रम को लेकर विस्तार से बातचीत की। मोदी ने शुभांशु से पूछा कि मैंने आपको जो होमवर्क दिया था, उसका क्या हुआ? शुभांशु ने उनके सवालों के जवाब दिए। मोदी ने कहा कि देश को अब 40-50 एस्ट्रोनॉट्स तैयार करने होंगे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

पीएम मोदी ने शुभांशु से हाथ मिलाया और 4 बार पीठ थपथपाई।

अब PM मोदी की एस्ट्रोनॉट शुभांशु से बातचीत पढ़िए

अंतरिक्ष में किए प्रयोग का पृथ्वी पर लाभ मिलेगा पीएम मोदी ने सबसे पहले शुभांशु से पूछा कि अंतरिक्ष में मूंग और मेथी उगाने का प्रयोग कैसा रहा। इस पर शुभांशु ने बताया कि, स्पेस स्टेशन पर फूड एक बड़ी चुनौती है। जगह सीमित होती है और कार्गो महंगा। अगर मूंग-मेथी जैसे पौधे छोटे जार में 8 दिन में तैयार हो जाते हैं तो ये प्रयोग एस्ट्रोनॉट्स के लिए ही नहीं, बल्कि पृथ्वी पर फूड सिक्योरिटी की समस्या खत्म करने में मददगार हो सकता है।

स्पेस से लौटने पर कैसा बदलाव महसूस हुआ मोदी ने शुभांशु से पूछा कि इतनी बड़ी यात्रा के बाद जब आप लौटते हैं तो आपको कैसा महसूस होता है? शुभांशु ने जवाब दिया- स्पेस में पहुंचने के बाद शरीर में कई बदलाव आते हैं। ग्रेविटी न होने से दिल धीमा काम करने लगता है। ऐसे में चलना मुश्किल हो जाता है।

चार-पांच दिन में शरीर एडजस्ट कर लेता है। लेकिन धरती पर लौटते ही फिर से वही बदलाव महसूस होते हैं। जब मैंने पहला कदम जमीन पर रखा तो मैं गिर गया था, लोगों ने मुझे पकड़ा।” इस पर पीएम मोदी ने कहा कि यानी इस मिशन में सिर्फ बॉडी की नहीं बल्कि माइंड की ट्रेनिंग ज्यादा अहम होती है।

शुभांशु ने पीएम मोदी को अंतरिक्ष मिशन की पूरी जानकारी दी।

स्पेस पर साथियों ने कहा- गगनयान लॉन्चिंग पर बुलाना

मोदी के इस सवाल पर कि अंतरिक्ष में सेटिंग मैनेजमेंट कैसा होता है। शुभांशु ने बताया कि वहां भी 23-24 घंटे की शेड्यूल्ड लाइफ होती है। दरअसल, कैप्सूल में बहुत ज्यादा स्पेस नहीं होता। लेकिन फाइटर जेट जैसी जगह जरूर मिलती है।

पीएम ने जब गगनयान के बारे में सवाल किया तो शुभांशु ने कहा- स्पेस स्टेशन पर जब भी लोगों को पता चलता था कि मैं भारत से हूं तो सब बहुत खुश होते थे। कई साथी तो गगनयान को लेकर इतने उत्साहित थे कि उन्होंने मुझसे कहा कि जब आपका मिशन लॉन्च होगा तो हमें जरूर बुलाना।

शुभांशु ने टैबलेट पर पीएम मोदी को अंतरिक्ष से ली गई पृथ्वी और गैलेक्सी की तस्वीरों को दिखाया।

पीएम ने पूछा- होमवर्क का क्या हुआ

पीएम मोदी ने मजाकिया अंदाज में पूछा कि जो होमवर्क मैंने आपको दिया था उसका क्या हुआ। शुभांशु ने हंसते हुए जवाब दिया- सर, उसका बहुत अच्छा प्रोग्रेस है। मिशन भले ही पूरा हो गया हो लेकिन असल काम अब शुरू हुआ है। आपके कहे अनुसार हम इसे नए ज्ञान और अनुभव में बदलने की कोशिश कर रहे हैं।

देश को 4050 एस्ट्रोनॉट्स तैयार करने होंगे पीएम मोदी ने कहा कि देश को अब 40-50 एस्ट्रोनॉट्स तैयार करने होंगे। इस पर शुभांशु ने अपने बचपन का अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि, जब राकेश शर्मा अंतरिक्ष गए थे तो मेरे मन में कभी एस्ट्रोनॉट बनने का ख्याल नहीं आया, क्योंकि कोई प्रोग्राम ही नहीं था। लेकिन अब बच्चे खुद पूछते हैं कि हम एस्ट्रोनॉट कैसे बन सकते हैं। यह हमारे देश के लिए बहुत बड़ी सफलता है।

शुभांशु ने पीएम मोदी को एक्सिओम-4 मिशन का मिशन पैच और तिरंगा भेंट किया, जिसे वे अपने साथ अंतरिक्ष स्टेशन ले गए थे।

भारत की अंतरिक्ष नेतृत्व क्षमता पर विश्वास पीएम मोदी ने कहा कि स्पेस स्टेशन और गगनयान भारत के दो बड़े मिशन हैं। शुभांशु का अनुभव इसमें काम आएगा। इस पर शुभांशु बोले- सर, आपकी सरकार ने चंद्रयान-2 की असफलता के बाद भी स्पेस प्रोग्राम को बजट और भरोसा दिया। चंद्रयान-3 की सफलता ने यह साबित कर दिया कि हम विश्व में लीडरशिप रोल निभा सकते हैं। भारत का खुद का स्पेस स्टेशन आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम होगा।

शनिवार देर रात भारत लौटे शुभांशु अमेरिका से शनिवार देर रात भारत लौटे। दिल्ली एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह और दिल्ली की CM रेखा गुप्ता ने शुभांशु का स्वागत किया। लखनऊ से शुभांशु से मिलने पिता शंभु दयाल शुक्ला और बहन शुचि मिश्रा भी पहुंची थीं।

शंभु दयाल शुक्ला ने कहा, हमेशा प्रधानमंत्री मोदी ने बच्चे को आशीर्वाद और पूरा साथ दिया है। उन्होंने शुभांशु से बहुत अच्छे से बात की। शुभांशु से मिशन की जानकारी ली। मां आशा शर्मा ने शुभांशु की पीएम मोदी से मुलाकात को ऐतिहासिक क्षण बताया।

दिल्ली में प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और अन्य लोगों ने शुभांशु और उनके परिवार का गर्मजोशी से स्वागत किया।

पिता बोले- 25 को शुभांशु के लखनऊ आने की उम्मीद शुभांशु के पिता शंभु दयाल शुक्ल ने बताया कि बेटा 25 अगस्त को लखनऊ आ सकता है। परिवार लंबे समय से उनके लौटने का इंतजार कर रहा था। मां आशा शुक्ला इस वक्त लखनऊ में स्वागत की तैयारियों में लगी हैं और बेहद खुश हैं।

दिल्ली एयरपोर्ट पर शुभांशु की पत्नी कामना और बेटे किआश भी मौजूद रहे। एक साल के लंबे इंतजार के बाद परिजनों ने उन्हें गले लगाकर स्वागत किया। पिता शंभुदयाल ने कहा- बेटे की वापसी का बेसब्री से इंतजार था। अब घर आकर पूरा परिवार गर्व महसूस कर रहा है।

शुभांशु शुक्ला के पिता शंभुदयाल शुक्ला ने फोन पर दैनिक भास्कर से बातचीत की।

मां बोलीं- बेटे को सीने से लगाकर दुलार करूंगी

शुभांशु की मां आशा शुक्ला ने दैनिक भास्कर से कहा- वह मेरे लिए पत्नी और बच्चों के साथ अमेरिका से वापस आया है। बेटा 25 अगस्त को लखनऊ पहुंचेगा। एक मां जैसे अपने बच्चे का स्वागत करती है, वैसे ही हम भी उसका स्वागत करेंगे।

उसे सीने से लगाकर बहुत सारा प्यार-दुलार करूंगी। ये गर्व का पल है। पूरे देश के लिए ये अद्भुत क्षण है। ऐसे में हर कोई उनसे मिलना चाहता है। अब मेरे अलावा वो पूरे देश का भी बेटा बन चुका है।

मां ने कहा- बेटे को सीने से लगाकर बहुत सारा प्यार-दुलार करूंगी।

41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को एक्सियम मिशन-4 के लिए चुना गया था। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।

शुभांशु का ये अनुभव भारत के गगनयान मिशन में काम आएगा। ये भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसका उद्देश्य भारतीय गगनयात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और सुरक्षित रूप से वापस लाना है। इसके 2027 में लॉन्च होने की संभावना है। भारत में एस्ट्रोनॉट को गगनयात्री कहा जाता है। इसी तरह रूस में कॉस्मोनॉट और चीन में ताइकोनॉट कहते हैं।

16 महीने बाद लखनऊ आएंगे शुभांशु मां आशा शुक्ला ने बताया- अगस्त 2024 में शुभांशु अमेरिका के लिए रवाना हुए थे। इससे 4 महीने पहले यानी अप्रैल में लखनऊ से बेंगलुरु गए थे। तब उनसे भेंट नहीं हुई थी। अब करीब 16 महीने बाद वो लखनऊ आएंगे तो मुलाकात होगी।

अमेरिका जाने से पहले ISRO में उनकी कई महीनों की ट्रेनिंग हुई थी। इसके बाद फाइनली अमेरिका गए थे। 18 दिन के अंतरिक्ष मिशन के बाद वे 15 जुलाई को अमेरिका लौटे थे। एक्सियम मिशन-4 के तहत 25 जून को शुभांशु शुक्ला सहित चार एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए रवाना हुए थे। 26 जून को भारतीय समयानुसार शाम 4:01 बजे ISS पहुंचे थे। 18 दिन रहने के बाद 15 जुलाई को पृथ्वी पर लौटे थे। कैलिफोर्निया के तट पर लैंडिंग हुई थी।

—————–

संबंधित खबर भी पढ़िए…

PM मोदी ने शुभांशु को गले लगाया, पीठ थपथपाई:पूछा- अंतरिक्ष में रहना कितना मुश्किल; एस्ट्रोनॉट ने सफर की पिक्चर दिखाई

पीएम मोदी ने लखनऊ के एस्ट्रोनॉट शुभांशु शुक्ला से सोमवार शाम दिल्ली में मुलाकात की। PM मोदी ने शुभांशु से हाथ मिलाया और गले लगा लिया। पीठ थपथपाते हुए शाबाशी भी दी। शुभांशु ने टैबलेट पर उन्हें अंतरिक्ष के सफर की तस्वीरें…पूरी खबर पढ़ें

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button