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Medicine Cost Price Report; India Pakistan | Africa Germany | कम आय वाले देशों में दवाओं पर…

नई दिल्ली9 घंटे पहले

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गरीब और मध्यम आय वाले देशों के लोग जरूरी दवाओं के लिए अमीर देशों से ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं। ये डेटा एक इंटरनेशनल रिसर्च में पाया गया है, जो अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स ने की है। इसमें 72 देशों की 550 दवाओं के दामों का साल 2022 का डेटा देखा गया।

शोध JAMA हेल्थ फोरम में छपा है। इसमें कहा गया है कि दवाएं यूरोप और पश्चिमी देशों में सबसे ज्यादा जबकि अफ्रीका और दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे कम आसान हैं। मतलब गरीब देशों पर दवाओं का बोझ ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक,

अमीर देशों में दवाएं दिखने में महंगी हैं, लेकिन वहां लोगों की आय और खरीदने की क्षमता ज्यादा होने से वे सस्ती पड़ती हैं। वहीं, गरीब देशों में दवाएं नाम के हिसाब से सस्ती होती हैं, लेकिन लोगों की कम आय के कारण असल में महंगी साबित होती हैं।

इधर, भारत में दवाओं की कीमत के हिसाब से चौथे नंबर पर सबसे कम है, लेकिन असल खर्च करने की क्षमता के आधार पर यह 72 देशों में 29वें स्थान पर है। इसी तरह पाकिस्तान में दवाएं सबसे सस्ती तो है, लेकिन असल में जनता पर जर्मनी जितनी कीमत का बोझ डाल रही है।

उदाहरण से समझें इसके पीछे का गणित…

अमेरिका में एक व्यक्ति की सालाना औसत आय लगभग 76 लाख रुपए है, जबकि भारत में यह केवल 2.5 लाख रुपए है। यानी अमेरिका में प्रति व्यक्ति आय भारत से करीब 30 गुना ज्यादा है।

इसका मतलब यह है कि अगर अमेरिका का व्यक्ति 30 रुपए खर्च करता है, तो उसकी जेब पर उतना ही असर होता है, जितना भारत में 1 रुपए खर्च करने पर पड़ता है।

मानसिक रोग और हृदय की दवाएं सबसे महंगी

अध्ययन में यह भी सामने आया कि मानसिक रोग और हृदय की दवाएं सबसे महंगी हैं, जबकि हेपेटाइटिस-बी और सी की दवाएं सबसे सस्ती हैं। भारत में हेपेटाइटिस-बी और एचआईवी/एड्स की दवा टेनोफोविर खरीदने के लिए न्यूनतम मजदूरी पाने वाले को करीब 10 दिन काम करना पड़ता है।

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