मुसलमानों को भी अपनी इच्छा से वसीयत का अधिकार देने पर सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, फिलहाल एक तिहाई…

मुस्लिम वसीयत से जुड़े एक अहम सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. याचिका में मुसलमानों को भी इंडियन सक्सेशन एक्ट की धारा 58(1) और 57 के दायरे में लाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने मुस्लिम पर्सनल लॉ की उस व्यवस्था का विरोध किया है, जिसके तहत कोई व्यक्ति सिर्फ एक तिहाई संपत्ति की वसीयत कर सकता है. बाकी संपत्ति की वसीयत के लिए कानूनी वारिसों की मंजूरी जरूरी है.
धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन करता है मुस्लिम पर्सनल लॉ: याचिका
अबू धाबी में रह कर वकालत कर रही केरल की शेहीन पुलिक्कल वीत्तील की याचिका में कहा गया है कि पवित्र कुरान मुसलमानों को वसीयत की अनुमति देता है, लेकिन भारत में लागू मुस्लिम पर्सनल लॉ उसे सीमित करता है. पर्सनल लॉ का यह प्रावधान कुरान के मुताबिक नहीं है. ऐसे में यह संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत मिले धार्मिक स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन करता है. साथ ही यह अनुच्छेद 14, 15 (समानता का अधिकार), 21 (सम्मान से जीवन का अधिकार) और 300A (संपत्ति का अधिकार) का भी उल्लंघन करता है.
बेटियों को बेटों को बराबर संपत्ति नहीं दे सकता पिता: याचिका
याचिकाकर्ता ने कहा है कि आधुनिक समय में लड़के और लड़कियों को समानता की नजर से देखा जाने लगा है, लेकिन अगर कोई मुस्लिम पिता अपने बेटों और बेटियों को बराबर संपत्ति देना चाहता है तो वह ऐसा नहीं कर सकता. मुस्लिम पर्सनल लॉ उसे ऐसा करने से रोकता है. फिलहाल एक तिहाई संपत्ति की वसीयत का ही अधिकार है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पी. एस. नरसिम्हा और ए. एस. चंदुरकर की बेंच ने थोड़ी देर की बहस के बाद याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया. कोर्ट ने कहा कि वह इस याचिका को इसी विषय पर पहले से लंबित याचिका के साथ सुनेगा.
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