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सांसद मोहन डेलकर आत्महत्या केस बंद, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को सही ठहराया

सांसद मोहन डेलकर आत्महत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण और जस्टिस एन वी अंजारिया की बेंच ने केस बंद करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है. हाई कोर्ट ने दादरा और नगर हवेली से सात बार सांसद रहे डेलकर को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में 9 लोगों पर दर्ज एफआईआर को निरस्त किया था.

58 साल के डेलकर 22 फरवरी 2021 को मुंबई के मरीन ड्राइव इलाके के एक होटल में मृत पाए गए थे. उनके बेटे अभिनव डेलकर की शिकायत पर पुलिस ने मार्च 2021 में दादरा नगर हवेली और दमन-दीव के प्रशासक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल समेत 9 लोगों पर केस दर्ज किया था. एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि इन लोगों ने सांसद को परेशान कर आत्महत्या के लिए उकसाया.

जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई थी उनमें मामले में प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के अलावा डीएम संदीप सिंह, एसपी शरद दराडे, डिप्टी कलक्टर अपूर्वा शर्मा, एसडीपीओ मनस्वी जैन, सिलवासा थाना के इंस्पेक्टर मनोज पटेल, प्रशासनिक विभाग के अधिकारी रोहित यादव और राजनेता फत्ते सिंह चौहान और दिलीप पटेल शामिल थे.

शिकायतकर्ता का आरोप था कि इन सभी लोगों ने मोहन डेलकर के नियंत्रण वाले कॉलेज को अपने कब्जे में लेने के लिए उन्हें परेशान किया. सांसद होने के बावजूद उन्हें सार्वजनिक कार्यक्रमों में उचित सम्मान नहीं दिया गया. उन्हें अनुसूचित जाति का होने के चलते अपमानित किया गया.

8 सितंबर 2022 को बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस प्रसन्ना बी वराले और जस्टिस श्रीकांत डी कुलकर्णी की बेंच ने सभी आरोपों को निराधार माना था. कोर्ट ने कहा था कि कॉलेज पर कब्जा लेने का प्रयास या सांसद को अपमानित करने के आरोप साबित नहीं हो रहे हैं. यह एफआईआर कानून का दुरुपयोग करते हुए दाखिल हुई है. सभी तथ्य इस ओर इशारा कर रहे हैं कि यह मामला रद्द कर देने योग्य है.

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