बांके बिहारी मंदिर विवाद पर गोस्वामी पक्ष को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

बांके बिहारी मंदिर विवाद पर गोस्वामी पक्ष को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
New Delhi : वृन्दावन स्थित ऐतिहासिक श्री बाँके बिहारी मंदिर के प्रबंधन विवाद पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी परिवार की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं को कड़ी फटकार लगाई।
New Delhi : वृन्दावन स्थित ऐतिहासिक श्री बाँके बिहारी मंदिर के प्रबंधन विवाद पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी परिवार की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि बार-बार एक ही मुद्दा उठाना अदालत की कार्यप्रणाली का दुरुपयोग है और यदि ऐसा दोबारा हुआ, तो अवमानना की कार्रवाई हो सकती है।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की तीन सदस्यीय पीठ ने गोस्वामी पक्ष के वकीलों को चेतावनी दी कि अदालत की प्रक्रिया को हल्के में लेना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सुनवाई के दौरान जब एक बार फिर वही मुद्दा उठाया गया जिसे पहले ही खारिज किया जा चुका था, तो पीठ ने नाराज़गी जाहिर की और वकीलों से कहा “खेल खेलना और चालें बंद कीजिए।
अदालती प्रक्रिया में हेरफेर पर सख्त चेतावनी
प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नवीन पहवा और के. नटराजन ने यह जानकारी दी कि गोस्वामी पक्ष पहले ही इस मामले को दूसरी पीठ में स्थानांतरित कराने का प्रयास कर चुका है, जबकि यह पहले से ही न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ में सूचीबद्ध था। कोर्ट ने इसे गंभीर प्रक्रियात्मक उल्लंघन बताया।
भविष्य में अवमानना की कार्रवाई संभव
कोर्ट ने चेताया कि यदि ऐसी पुनरावृत्ति हुई और जानबूझकर मामला किसी अन्य पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया गया, तो संबंधित वकीलों के विरुद्ध अवमानना की प्रक्रिया पर विचार किया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के कनिष्ठ सहयोगी अधिवक्ता शिवांश पांण्डया के खिलाफ कार्यवाही प्रारंभ करने का निर्देश भी दिया, हालांकि न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने फिलहाल उस पर रोक लगा दी।
क्या है विवाद
यह मामला वृन्दावन स्थित प्रसिद्ध बाँके बिहारी मंदिर के प्रबंधन से जुड़ा है। गोस्वामी परिवार और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच इस मंदिर के संचालन और अधिकारों को लेकर वर्षों से विवाद चल रहा है। हाल ही में प्रदेश सरकार ने एक नई प्रबंधन समिति का गठन किया, जिसके विरुद्ध गोस्वामी पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। यह याचिका 27 जुलाई को दाखिल की गई थी।
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