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Nand festival celebrated on the second day of Janmashtami in Bhilwara | भीलवाड़ा में जन्माष्टमी…

भीलवाड़ा में दूसरे दिन मल्ल खम्भ लीला का आयोजन किया गया

भीलवाड़ा के श्री दूधाधारी मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी के दूसरे दिन नंद महोत्सव की धूम आज भी जारी हैं।बीते 48 साल से इस आयोजन को को पूरे उत्साह ओर हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

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जन्माष्टमी के दूसरे दिन भीलवाड़ा के श्री दूधाधारी मंदिर में नंद महोत्सव के तहत मलखम्भ का आयोजन किया जाता है।भगवान श्री कृष्ण के जन्म की खुशी में यहां पर वर्षों की परंपरा निभाते हुए दही हांडी लीला के साथ ही बधाई गान और मलखम्भ लीला का आयोजन किया गया।जिसे देखने के लिए श्री कृष्ण के भक्तों को पूरा साल इंतजार रहता है, विशेष रूप से इस लीला को देखने के लिए जिले भर से लोग श्री दूधाधारी मंदिर में इकट्ठा होते हैं।

श्री दूधाधारी मंदिर के पुजारी कल्याण शर्मा ने बताया कि मंदिर में कई साल से नंद महोत्सव का आयोजन किया का रहा है।आज भी उत्साह के साथ श्रद्धालु इस लीला को देखने पहुंचे। इसके तहत कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।इस महोत्सव में मलखम्भ को देखने लोग विशेष रूप से आते हैं ।

जन्माष्टमी पर भगवान श्री कृष्ण के जन्म लेने के बाद पूरे गोकुल में आनंद का माहौल हो गया और सब गांववासी नंद बाबा को बधाई देने पहुंचे इसी भाव के साथ यह परंपरा नंद महोत्सव के रूप में मनाई जाती आ रही है।इस महोत्सव का भीलवाड़ा शहर सहित आसपास के गांव के इलाकों के लोगों में पूरे साल भर इंतजार रहता है।

आज इसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग मंदिर परिसर में इकट्ठा हुए।नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयकारों से आसपास का क्षेत्र गूंज उठा।इस दौरान मलखम्भ में सिक्के अन्य खाद्य सामग्री लूटने के लिए ग्वाल बाल प्रयास करते हैं और दूसरी तरफ उन से बचाने के लिए पानी की बौछार की जाती है।

25 फीट ऊंचे मलखंब पर पहले मुल्तानी मिट्टी और तेल मला जाता है जिससे लीला और आकर्षक हो जाती है।इसमें पहलवान व ग्वाले रूप में युवा मलखम्भ पर चढ़ने का प्रयास करते हैं और वहां रखे सिक्के, मेवा व अन्य सामग्री लूटने की लीला को अंजाम देते हैं।

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