अन्तराष्ट्रीय

भारत को चौतरफा घेरने चले थे ट्रंप! PM मोदी के दोस्त पुतिन ने चौपट कर दिए प्लान

अमेरिकी राजनीति में डोनाल्ड ट्रंप हमेशा अपनी आक्रामक रणनीतियों के लिए जाने जाते रहे हैं. इस बार उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अलास्का बुलाकर एक बड़ा खेल खेलने की कोशिश की. उनकी योजना थी कि भारत को चारों ओर से दबाव में लाया जाए, चाहे वह पाकिस्तान कार्ड हो, व्यापार समझौते का दबाव हो या फिर अंतरराष्ट्रीय अदालतों में मुद्दा उठाना, लेकिन यह कोशिश उसी वक्त ध्वस्त हो गई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति ने हालात पूरी तरह पलट दिए.

भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (Trade Deal) पर बातचीत चल रही थी. पांच दौर की वार्ता पूरी भी हो चुकी थी. लेकिन छठे दौर की बैठक, जो अगस्त के अंत में दिल्ली में होने वाली थी, उसे अचानक स्थगित कर दिया गया. अमेरिका का मकसद था कि भारत रूस से अपनी ऊर्जा और रक्षा खरीद कम करे और अमेरिकी शर्तों को मान ले. लेकिन जब मोदी सरकार ने झुकने से इनकार किया, तब अमेरिका ने दबाव बनाने की कोशिश की.

अमेरिका की धरती से आसिम मुनीर ने दी भारत को धमकी

ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर को अपने घर बुलाया. वहां से भारत के खिलाफ जहर उगला गया परमाणु हमले की धमकी से लेकर सिंधु जल संधि को तोड़ने तक की बातें सामने आईं. अमेरिका की धरती पर खड़े होकर पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व ने भारत को खुली धमकियां दीं. अमेरिकी राजनीतिक हलकों में इस पर सवाल उठे कि कैसे ट्रंप ने यह बयानबाजी होने दी, लेकिन ट्रंप की चुप्पी यह संकेत दे रही थी कि वे इस खेल का हिस्सा हैं और भारत को झुकाना चाहते हैं.हालांकि भारत ने इस पर तीखा जवाब दिया और पाकिस्तान की रणनीति धरी की धरी रह गई.

सिंधु जल संधि विवाद पर PAK के पक्ष में फैसला 

सिंधु जल संधि को लेकर स्थायी मध्यस्थता अदालत ने पाकिस्तान के पक्ष में फैसला सुनाया. पाकिस्तान ने इसे अपनी जीत बताया. लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि उसने इस अदालत को कभी मान्यता नहीं दी और वह केवल तटस्थ विशेषज्ञ तंत्र (Neutral Expert Mechanism) को मानता है.भारत ने पहले ही किशनगंगा और रतले परियोजनाओं जैसे बड़े पावर प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने का ऐलान कर दिया है. यानी अंतरराष्ट्रीय दबाव डालने की कोशिश के बावजूद भारत अपने रुख पर कायम रहा.

पुतिन से मुलाकात और ट्रंप की नाकामी

ट्रंप को उम्मीद थी कि पुतिन भारत पर बयान देंगे और रूस-भारत संबंधों में दरार डालने का माहौल बनेगा. लेकिन हुआ इसका उल्टा. पुतिन ने भारत पर कोई बयान नहीं दिया. मोदी और पुतिन की दोस्ती और सामरिक साझेदारी पहले की तरह मजबूत रही. ट्रंप की पूरी रणनीति चौपट हो गई क्योंकि उनका मकसद भारत को रूस से अलग करना था. यानी ट्रंप का खेल उन्हीं पर उल्टा पड़ गया.

मोदी की रणनीति संतुलन और मजबूती 

मोदी सरकार ने इस पूरे घटनाक्रम में स्पष्ट संदेश दिया कि भारत किसी दबाव में नहीं झुकेगा. रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा सहयोग जारी रहेगा.पाकिस्तान की धमकियों का जवाब उसी भाषा में दिया जाएगा. अमेरिका के साथ डील भारत की शर्तों पर ही होगी. इस रणनीति ने दिखा दिया कि भारत अब सिर्फ बड़ा बाजार नहीं बल्कि एक वैश्विक शक्ति संतुलन बनाने वाला खिलाड़ी है.

ये भी पढ़ें: भारत को टैरिफ की धमकी और अमेरिका ने बढ़ाया 20 फीसदी कारोबार… पुतिन को लेकर इतने कंफ्यूज क्यों हैं ट्रंप?

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