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Sarpanchs were made labourers, influential people are doing sarpanch work | रसूखदारों की…

राजस्थान में भी सरपंचाई ठेके पर चलती है। हालात यह हैं कि रसूखदारों ने डमी सरपंच जितवा दिए। वे उनसे अपने खेतों पर मजदूरी करवा रहे हैं। गांव के लोग भी रसूखदारों को ही सरपंच मानते हैं। भास्कर ने भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ व उदयपुर की 15 से ज्यादा ग्राम पंचाय

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ग्रामीण भी असली सरपंच की बजाय इन्हीं रसूखदारों के पास जाते हैं क्योंकि पंचायत की छाप, रिकॉर्ड, चाबियों सहित सबकुछ उन्हीं के हाथों में है। दैनिक भास्कर की टीम ने इसकी पड़ताल की। असल सरपंचों से बात की तो वे बोले कि हम तो कभी ग्राम पंचायत गए ही नहीं।

पंचायत राज के हालात – ओटीपी वाला मोबाइल भी सचिवों के पास, असली सरपंच बोले– सब काम दूसरे देखते हैं

भीलवाड़ा : पत्थर डाल रहा था जिंद्रास सरपंच, नरेगा के बारे में पूछा तो बोले– पंचायत कभी नहीं गया।जिंद्रास के सरपंच सोहनलाल बैरवा अनपढ़ हैं। भास्कर रिपोर्टर साइन कराने गया तो वे बाड़े में पत्थर डाल रहे थे। बोले– सरपंच बना तो राशन का गेहूं बंद हो गया। मनरेगा में काम नहीं है। सचिव काम संभालते हैं। पहले कहा था जाली चौराहा पर दुकान देंगे लेकिन नहीं दी। ओटीपी वाला मोबाइल भी सचिव के पास है। घर के लिए सीमेंट मांगी लेकिन मना कर दिया।

उदयपुर : भैंसों को पानी पिला रही थीं नांदेशमा की सरपंच, उनके घर तक सड़क बनना ही बड़ी उपलब्धि।गोगुंदा के नांदेशमा ग्राम की सरपंच लक्ष्मीदेवी भील कभी पंचायत में नहीं गईं। सरपंच का घर गांव के बाहर बस्ती में है। पहले तो जाने का रास्ता नहीं था। अब सड़क बनी है। भास्कर रिपोर्टर ने पूछा कि एक कागज पर साइन करने हैं। वे घूंघट में रहीं और बोलीं– वे तो पंचायत कभी नहीं गईं। सरपंच के पति भी घर पर थे। वे बोले– कुछ नहीं बता सकते।

चित्तौड़गढ़ : रसूखदारों के यहां ट्रैक्टर चलाता है सामरी सरपंच, सचिव का नाम भी नहीं बता पाया।चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति की ग्राम पंचायत सामरी में असली सरपंच गोपाल भील है। कागजों में भले ही उसका नाम है लेकिन उसकी जगह काम दूसरे करते हैं। वह तो गांव में रसूखदारों के यहां ट्रैक्टर चलाता है और खेती का काम करता है। गोपाल से पूछा कि हमें किसी जरूरी दस्तावेज पर साइन कराने हैं तो बोला– उसे पंचायत के बारे में कुछ नहीं पता।

अधिकारों को लेकर जागरूक कर रहे हैं

“जिले में 50% महिला सरपंच हैं। इनके अधिकारों के बारे में जागरूक करते हैं। प्रशिक्षण भी दिया है। बीडीओ को स्पष्ट निर्देश दे रखे हैं कि जनप्रतिनिधि की जगह दूसरे व्यक्ति का दखल बिल्कुल नहीं होना चाहिए।”

– चंद्रभान सिंह भाटी, सीईओ जिला परिषद, भीलवाड़ा

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