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राजेश खन्ना ने डिंपल कपाड़िया से की थी बेवफाई? अनीता आडवाणी बोलीं- ‘हमने चोरी छुपे शादी कर ली…

बॉलीवुड के दिग्गज सुपरस्टार राजेश खन्ना ने डिंपल कपाड़िया से शादी की थी. हालांकि साल 1982 में कपल सेपरेट हो गया था और अलग-अलग घर में रहने लगा था. इसके बाद एक्ट्रेस अनीता आडवाणी राजेश खन्ना के आखिरी दिनों तक उनके साथ थीं. अब सुपरस्टार की मौत के सालों बाद एक्ट्रेस ने खुलासा किया है कि राजेश खन्ना ने उनसे चोरी-छुपे शादी कर ली थी.

मेरी सहेली को दिए हालिया इंटरव्यू में अनीता आडवाणी ने कहा- ‘हमने चोरी-छुपे पर शादी की, लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में कोई भी इन बातों पर खुलकर बात नहीं करता. सब कहते हैं कि हम दोस्त हैं या हम रिलेशनशिप में हैं या कुछ और.’ 

‘एक रात हमारी शादी हो गई…’
अनीता ने राजेश खन्ना के साथ अपनी शादी को लेकर कहा- ‘मीडिया में पहले ही खबर आ चुकी थी कि मैं उनके साथ हूं, इसलिए हम दोनों में से किसी को भी पब्लिकली शादी की अनाउंसमेंट करने की जरूरत महसूस नहीं हुई. हमें कभी इसकी जरूरत महसूस नहीं हुई. हमारे घर में एक छोटा सा मंदिर था. मैंने एक मंगलसूत्र बनवाया था, सोने का और काले मोतियों वाला. उन्होंने मुझे वो पहनाया. फिर उन्होंने सिंदूर लगाया और कहा कि आज से तुम मेरी जिम्मेदारी हो. बस यूं ही एक रात हमारी शादी हो गई.’

अनीता आडवाणी ने आगे कहा- ‘मैं डिंपल कपाड़िया से पहले उनकी जिंदगी में आई थी. लेकिन उस समय हमारी शादी नहीं हुई क्योंकि मैं बहुत छोटी थी. आखिरकार, मैं जयपुर वापस आ गई.’

 

 

राजेश खन्ना के अंतिम संस्कार में क्यों नहीं गई थीं अनीता?

अनीता ने आगे राजेश खन्ना के अंतिम संस्कार को लेकर बात की जिसमें एक्टर की फैमिली ने उन्हें शामिल नहीं होने दिया था. उन्होंने कहा- ‘मुझे अंदर आने से रोकने के लिए उन्होंने वहां बाउंसर तैनात कर रखे थे, ये बात मुझे अपने दोस्तों से पता चली. जब मैंने उन्हें बताया कि मैं जाने वाली हूं, तो उन्होंने मुझे चेतावनी दी कि मुझे अंदर नहीं जाने दिया जाएगा. फिर भी उन्होंने कहा कि अगर कुछ हुआ, तो हम तुम्हारे साथ हैं. लेकिन मैं दंग रह गई और पूछा कि ये सब क्यों हो रहा है?’

 

एक्ट्रेस बताती हैं- ‘मेरे कुछ स्टाफ और करीबी दोस्तों ने मुझे जाने के लिए प्रोत्साहित किया, यहां तक कि सुझाव दिया कि मैं एक कैमरा लेकर जाऊं और उनकी गतिविधियों को रिकॉर्ड करूं. लेकिन मैंने सोचा, इतने पवित्र दिन पर मैं ऐसा कैसे कर सकती हूं? इसलिए मैं नहीं गई. मैंने एक मंदिर में अकेले ही उनके लिए अपना चौथा रखा. सब कुछ होने के बाद भी वहां जाना मेरी शान के खिलाफ होता और सच कहूं तो, मेरे साथ ऐसा व्यवहार करना, मेरे लिए बाउंसर बुलाना, उनकी शान के खिलाफ था.’

 

‘वो सीटें ब्लॉक कर रहे थे ताकि मुझे बैठने की जगह न मिले’

अनीता आखिर में कहती हैं- ‘मेरे एक दोस्त, जो वहां गया था, ने मुझे बताया कि वो सीटें ब्लॉक कर रहे थे ताकि मुझे बैठने की जगह न मिले उन्होंने हमारे एक पारिवारिक वकील से भी कह दिया कि अगर मैं वहां गई तो मुझे संभालना. इसका क्या मतलब था? मैं हैरान रह गई. मैं काकाजी के चौथे पर कभी तमाशा करने नहीं जाता। मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती. इसीलिए मैं नहीं गई. और वहां क्या हुआ? सब बस दिखावा था. किसी के मन में उनके लिए कोई सच्ची भावनाएं नहीं थीं.’ 

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