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अमेरिका का F-35 नहीं, तुर्किए का KAAN फाइटर जेट… इंडोनेशिया के बाद अब मिस्र ने दिखाई…

तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने हाल ही में यूरोपीय देशों से यूरोफाइटर जेट को लेकर एक बड़ा समझौता किया है. तुर्किए पहले अमेरिका से एफ-35 फाइटर जेट खरीदना चाहता था, लेकिन इजरायल के दबाव और रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के कारण उसे इस प्रोग्राम से बाहर कर दिया गया.

अब ‘कान’ फाइटर जेट से कर रहा मुकाबला
तुर्किए की सरकारी कंपनी तुर्किश एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने अपने स्वदेशी ‘कान’ (KAAN) फाइटर जेट को विकसित किया है. यह पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है, जो अमेरिका के एफ-35 का सस्ता और व्यवहारिक विकल्प बताया जा रहा है. तुर्किए इसे पुराने एफ-16 विमानों की जगह लाने और विदेशों में बेचने की योजना पर काम कर रहा है.

इंडोनेशिया से 48 KAAN जेट की पहली डील
तुर्किए ने हाल ही में इंडोनेशिया के साथ 48 KAAN फाइटर जेट की पहली डील की है. तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन ने खुद इस समझौते की जानकारी दी. इसके बाद अब मिस्र भी इस फाइटर जेट को खरीदने की तैयारी में है, हालांकि आधिकारिक घोषणा अभी नहीं हुई है.

पाकिस्तान और खाड़ी देश भी खरीदने के इच्छुक
तुर्किए का KAAN फाइटर जेट अब पाकिस्तान, मिस्र और खाड़ी के मुस्लिम देशों में काफी लोकप्रिय हो रहा है. ये देश इसे अमेरिका के एफ-35 के मुकाबले कम कीमत और कम रखरखाव वाले विकल्प के रूप में देख रहे हैं.

ड्रोन सुपरपावर बना तुर्किए
तुर्किए को दुनिया में सबसे बड़ी सैन्य सफलता तब मिली जब उसका बायरकटार TB-2 ड्रोन यूक्रेन युद्ध में रूस के खिलाफ बहुत प्रभावी साबित हुआ. इसके बाद से तुर्किए को ड्रोन सुपरपावर कहा जाने लगा.

एफ-35 से निकाले जाने पर मिला अनुभव
तुर्किए की कंपनियां पहले एफ-35 के लिए 900 से ज्यादा पार्ट्स बना रही थीं, जिससे उसे स्टील्थ तकनीक की काफी जानकारी मिल गई. अब इसी तकनीकी ज्ञान के आधार पर वह KAAN को वैश्विक बाजार में ला रहा है.

अमेरिका और इजरायल की चिंता
अमेरिका चाहता है कि उसकी एफ-35 तकनीक केवल भरोसेमंद सहयोगियों तक ही सीमित रहे, ताकि इजरायल की तकनीकी बढ़त बनी रहे. इसलिए अमेरिका खाड़ी देशों को F-35 देने से बच रहा है. वहीं, तुर्किए और इजरायल के बीच सीरिया और हमास को लेकर तनाव भी लगातार बढ़ रहा है.

अमेरिकी एक्सपर्ट्स की सख्त राय
अमेरिकी विश्लेषकों का मानना है कि जब तक तुर्किए रूसी S-400 मिसाइल सिस्टम को वापस नहीं करता या नष्ट नहीं करता, तब तक उसे एफ-35 नहीं मिलना चाहिए. वे एर्दोगन की हमास-समर्थक नीति की भी आलोचना कर रहे हैं.

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