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Independence Day ; India Pakistan Separation |Punjab Divided | 15 अगस्त 1947: देश को आजादी,…

कहा जाता है- ट्रेन के आखिरी डिब्बे पर लिखा था, नेहरू-पटेल को हमारी सौगात। – फाइल फोटो

14-15 अगस्त 1947 की रात 12 बजे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने देश के आजाद होने की घोषणा की। पूरे भारत ने आजादी का जश्न मनाना शुरू किया, लेकिन पंजाब और बंगाल दो ऐसे राज्य थे, जिन्होंने बंटवारे का दर्द सहा।

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रेडक्लिफ बाउंड्री कमिशन की रिपोर्ट ने दोनों राज्यों के बीच एक लाइन खींची, जो खून से लाल हुई। अमृतसर में सुबह-सुबह पाकिस्तान की ओर से लाशों भरी गाड़ियां पहुंचीं। बड़ी बात यह है कि गुरदासपुर के लोगों को पता ही नहीं था कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में। अमृतसर में बने पार्टीशन म्यूजियम में इन खून से सनी लकीर का जिक्र मिलता है।

कहा जाता है कि सिरिल रेडक्लिफ बाउंड्री कमिशन रिपोर्ट एक ऐसा दस्तावेज था, जिस पर आजादी के समय पंजाब और बंगाल के लोगों व नेताओं की नजर थी। इस रिपोर्ट में भारत-पाकिस्तान के बंटवारे की विस्तृत जानकारी थी। इसमें बताया गया था कि बंटवारे की लाइन कहां-कहां से गुजरेगी।

अंग्रेजी हुकूमत को भी पता था कि अगर यह रिपोर्ट 15 अगस्त से पहले सार्वजनिक हो गई तो 2 देशों के बंटवारे के समय बहने वाले खून का इल्जाम ब्रिटिश हुकूमत पर आ जाएगा।

12-13 अगस्त 1947 को बन कर तैयार हो चुकी रिपोर्ट को अंग्रेजों ने 17 अगस्त को सार्वजनिक करने का फैसला लिया। माना जाता है कि अगर यह रिपोर्ट पहले सामने आ जाती तो शायद इतना खून-खराबा न होता, जो आज तक हम इतिहास के पन्नों पर पढ़ते आए हैं।

खून से सनी और लाशों से भरी ट्रेनें पहुंच रही थी अमृतसर आजादी के बाद जब पाकिस्तान और भारत के बीच बंटवारा हुआ तो सरहदी प्रमुख शहर अमृतसर था। 15 अगस्त 1947 को जब रात 12 बजे से हर भारतीय जश्न मना रहा था, दोपहर के समय अमृतसर के रेलवे स्टेशन पर 10 डाउन एक्सप्रेस पहुंची।

पाकिस्तान से अमृतसर पहुंचे लोगों के रिश्तेदार अपनों का इंतजार रेलवे स्टेशन पर कर रहे थे, लेकिन जब ट्रेन पहुंची तो नजारा दिल को झकझोरने वाला था। ट्रेन इंसान नहीं, लाशें लेकर पहुंची थीं। यह नजारा इतना डरावना था कि ट्रेन को बाद में लोगों ने ‘लाश गाड़ी’ कहा।

इतिहासकार डोमिनिक लॉपियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब फ्रीडम एट मिडनाइट में इस ट्रेन को ‘भूत गाड़ी’ का नाम दिया।

आजादी के दिन गुरदासपुर वासियों को नहीं पता था, वे भारतीय हैं या पाकिस्तानी रेडक्लिफ बाउंड्री कमिशन रिपोर्ट 15 अगस्त को भी सार्वजनिक नहीं हुई थी। ऐसे में पंजाब का गुरदासपुर एक ऐसा जिला था, जिसकी किसी को भनक नहीं थी। शोर था कि यह पाकिस्तान में है। मुस्लिम परिवारों ने 14 अगस्त को ही गुरदासपुर में जश्न मनाना शुरू कर दिया। हिंदू-सिख परिवार दिल्ली की तरफ देख रहे थे कि वे यहां से पलायन करें या नहीं। मगर, जब 17 अगस्त को रेडक्लिफ बाउंड्री कमिशन रिपोर्ट खुली तो सभी हैरान हो गए। गुरदासपुर भारत में था।

कुछ ऐसी जानकारियां और तस्वीरें, जो आजादी के बीच बंटवारे की याद दिलाती हैं…

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