Disabled people are facing difficulty in boarding roadways buses | न रैंप-न हैंडल, रोडवेज बस…

रोडवेज बसों में दिव्यांगों के चढ़ने के लिए कोई सुविधा नहीं है।
अगर कोई दोनों पैरों से दिव्यांग है। उसे रोडवेज बस में सफर करना है। उसे क्या तकलीफ उठानी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। क्योंकि बस स्टैंड पर उसे न व्हील चेयर मिलेगी, न प्लेटफॉर्म पर चढ़ने के लिए स्लोप मिलेगा, न बस में चढ़ने के लिए रैंप या हैंडल। आख
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रक्षाबंधन जैसे मौकों पर सरकार की ओर से बहनों की 2 दिन फ्री यात्रा का तोहफा दिया गया। लेकिन बसों में जैसी भीड़ रही, उसे देखते हुए दिव्यांग बहनों के लिए अलग से सुविधा का सवाल उठता है।
बसों में दिव्यांग के चढ़ने के लिए रैंप नहीं है। न ही गेट के पास नीचे हैंडल हैं।
दिव्यांगों के लिए काम करने वाले पाली के समाजसेवी डॉ. वैभव भंडारी ने कहा- राजस्थान में 5000 से अधिक बसें राज्य परिवहन विभाग और निजी बस ऑपरेटर संचालित करते हैं। किसी भी बस में दिव्यांग के लिए व्हीलचेयर, रैंप, अनुकूल सीटें या आवश्यक सुविधाएं नहीं हैं। यही स्थिति असम, उत्तराखंड, नगालैंड और अन्य राज्यों में भी है।
वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को आदेश जारी कर कहा था-
दिव्यांगों की सुविधाओं के बिना किसी भी बस को फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं दिया जाए।
लेकिन हालात ऐसे हैं कि प्रदेश की एक भी बस में इसको लेकर कुछ नहीं किया। रोडवेज और या निजी बस एक भी बस में दिव्यांगों के अनुरूप रैम्प का निर्माण नहीं किया गया और न ही हैंडल लगाए गए हैं। राज्य में एक भी बस ऐसी नहीं है जो व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लिए अनुकूल हो, जबकि केन्द्र सरकार के मोटर वाहन अधिनियम के तहत इसे अनिवार्य किया गया है।
गाड़ियां प्लेटफार्म के पास खड़ी नहीं होती हैं। ऐसे में दिव्यांग यात्रियों को बस में चढ़ने में दिक्कत होती है।
केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार-
सार्वजनिक वाहनों में दिव्यांग जन के लिए सुगमता सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसमें व्हीलचेयर उपयोगकर्ताओं के लिए अनुकूल ढांचा और सुविधाएं शामिल हैं।
बावजूद इसके, राजस्थान और अन्य राज्यों में अभी तक एक भी बस ऐसी नहीं है, जो इन आवश्यकताओं को पूरा करती हो। यह मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और दिव्यांग जन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत दी गई गाइडलाइन्स का उल्लंघन है।
अब राज्य में परिवहन विभाग ने यह सुनिश्चित करने का फैसला लिया है कि निजी और सरकारी बसों में दिव्यांग-जन अपनी व्हीलचेयर और बैसाखी आसानी से ले जा सकें। बसों में इन आवश्यकताओं के लिए चिह्नित स्थान की पूरी व्यवस्था की जाएगी। इससे पहले, बसों में दिव्यांगजनों के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं थी, लेकिन अब केंद्रीय मोटर वाहन नियम, 1989 के नियम 62 में संशोधन के अनुसार बसों के फिटनेस चेकलिस्ट में दिव्यांगजनों के लिए निर्धारित मापदंड जोड़े गए हैं।
पाली बस स्डैंट पर दिव्यांग यात्रियों के लिए कोई सुविधा नहीं है।
इन संशोधित नियमों के तहत, बसों में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि व्हीलचेयर उपयोगकर्ता न केवल बसों में चढ़ सकें, बल्कि उनके लिए पर्याप्त जगह और सुविधाएं भी उपलब्ध हों। इसके अलावा, बैसाखी और व्हीलचेयर रखने के लिए विशेष स्थान आरक्षित किए जाएंगे, ताकि दिव्यांगजनों को यात्रा के दौरान किसी भी असुविधा का सामना न करना पड़े।