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क्षेत्र को रेगिस्तान बनाने का “ठेका” क्या वन विभाग ने दे रखा है?

दिनदहाड़े प्रतिबंधित प्रजाति का पेड़ काटा, वन माफियाओं का आतंक!

👉 खखरेरू के तेंदुआ गांव में वन विभाग की मिलीभगत से प्रतिबंधित पेड़ों का कत्ल

जनपद फतेहपुर के खखरेरू थाना क्षेत्र के तेंदुआ गांव में दिनदहाड़े प्रतिबंधित प्रजाति महुआ के पेड़ को बेरहमी से काटे जाने की घटना ने एक बार फिर क्षेत्र में सक्रिय वन माफिया और वन विभाग की मिलीभगत को उजागर कर दिया है।

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, प्रतिबंधित और दुर्लभ प्रजातियों के पेड़ों का पिछले कई महीनों से धड़ल्ले से कटान किया जा रहा है। हैरानी की बात यह है कि जिन लोगों को जंगल बचाने की जिम्मेदारी दी गई है, वही लोग लकड़ी माफिया से मिलकर खुलेआम कटान करा रहे हैं।

👉 क्षेत्र को रेगिस्तान बनाने का “ठेका” क्या वन विभाग ने दे रखा है?

ग्रामीणों का आरोप है कि पूरा इलाका धीरे-धीरे जंगलों से खाली हो रहा है।
महुआ, शीशम और आंवला जैसे प्रतिबंधित व संरक्षित पेड़ लगातार काटे जा रहे हैं, और वन विभाग मूकदर्शक बना हुआ है।

स्थानीय लोगों का कहना है —
“वन विभाग के कुछ कर्मियों ने लकड़ी माफिया से सेटिंग कर रखी है। पेड़ कटते हैं, सूचना दी जाती है, लेकिन विभाग सिर्फ औपचारिकता निभाता है।”

👉 महुआ के पेड़ पर चली कुल्हाड़ी, विभाग ने मौके पर पहुंचकर दिया “अभयदान”

आज जब तेंदुआ गांव में दिनदहाड़े महुआ का बड़ा पेड़ काटा गया, तब ग्रामीणों ने इसकी सूचना वन विभाग को दी।
सूचना मिलते ही विभाग की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन कार्रवाई करने की बजाय आरोपी को चेतावनी देकर छोड़ दिया।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि विभाग ने जानबूझकर मामले को दबाने की कोशिश की।

👉 विभागीय सिपाही की मनगढ़ंत कहानी, मीडिया को गुमराह करने का प्रयास!

जब मीडिया कर्मियों ने विभागीय सिपाही से सवाल किया,
तो उसने पेड़ काटने की मनगढ़ंत कहानी सुनाकर पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया।

सिपाही ने दावा किया कि—
“पेड़ सूखा हुआ था, ग्रामीणों ने खुद काटा होगा।”

लेकिन ग्रामीणों ने मौके की तस्वीरें और वीडियो दिखाते हुए कहा कि पेड़ हरा-भरा था और लकड़ी माफिया ने ही इसे काटा है।

👉 वन माफियाओं का साहस क्यों बढ़ रहा?

ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि—
वन विभाग के संरक्षण के बिना इतने बड़े पैमाने पर कटान संभव ही नहीं।

रात में भी ट्रैक्टरों से लकड़ी की ढुलाई

गांवों में कटान की घटनाएं बढ़ना

शिकायतों पर कार्रवाई न होना

और आरोपियों को “चेतावनी देकर छोड़ना”

इन सबने वन माफिया को बेखौफ कर दिया है।

👉 ग्रामीणों ने मांगी उच्चस्तरीय जांच

तेंदुआ गांव के ग्रामीणों ने इस पूरे मामले की
जिलाधिकारी तथा पुलिस अधीक्षक से निष्पक्ष जांच की मांग की है।

उनका कहना है कि यदि वन विभाग की जिम्मेदारियों की जांच हो जाए,
तो कई चेहरे बेनकाब हो जाएंगे।

👉 बड़ी खबर: यदि यह कटान जारी रहा तो आने वाले वर्षों में क्षेत्र बन सकता है बंजर!

पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि महुआ जैसे पेड़ों के तेजी से कटने से
स्थानीय पर्यावरण, भूमिगत जलस्तर और वन्यजीवों पर गंभीर असर पड़ेगा।

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