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पाकिस्तान और चीन के शेयर बाजारों के आगे निकला भारत का दम, कहीं टैरिफ तो नहीं बिगाड़ रहा खेल?

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Indian Share Market: जीएसटी दरों में सुधार को लेकर सरकार के लिए गए फैसलों के बाद बुधवार को भारतीय शेयर बाजार में शुरुआती कारोबार में भले ही तेजी देखने को मिली, लेकिन हकीकत यह है कि पिछले साल दूसरे कई बाजारों के मुकाबले भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन काफी खराब रहा है. इस दौरान इसमें 2 परसेंट तक की गिरावट आई है.

भारतीय शेयर बाजार की यह स्थिति पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों के मुकाबले और भी ज्यादा गंभीर है क्योंकि बीते एक साल के दौरान यहां के शेयर बाजारों ने न केवल दोहरे अंक में बढ़त हासिल की है, बल्कि वैश्विक स्तर पर सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले शेयर बाजारों में भी टॉप पर हैं. 

बुधवार को जीएसटी दरों में कटौती के ऐलान के बाद आज, 4 सितंबर को सेंसेक्स में 1 परसेंट तक का उछाल आया, लेकिन पिछले एक साल में इसका 30 शेयरों वाला सेंसेक्स लगातार घाटे में रहा. जबकि इस दौरान दुनिया के दूसरे बाजारों में 95 परसेंट तक की बढ़ोतरी हुई. अब सवाल यह आता है कि दुनिया भर के लगभग 20 शेयर बाजारों में भारत सबसे निचले पायदान पर क्यों है? 

एशियाई बाजारों में गजब का उछाल 

जहां पाकिस्तानी शेयर बाजार के केएसई 100 इंडेक्स ने पिछले एक साल में 95 परसेंट का शानदार रिटर्न दिया है, जिससे निवेशकों को जबरदस्त मुनाफा हुआ है.ब्लूमबर्ग की डेटा के मुताबिक, केएसई 100 इंडेक्स 94.44 परसेंट ऊपर है.इस बीच, चीन का शंघाई इंडेक्स भी पिछले एक साल में 35 परसेंट तक उछला है.

कनाडा का टीएसएक्स कंपोजिट 25 परसेंट तक चढ़ा है. इसी के साथ—साथ बीते एक साल में जापान का निक्केई 15 परसेंट, ब्रिटेन का एफटीएसई इंडेक्स 11 परसेंट और ब्राजील का बोवेस्पा इंडेक्स 3 परसेंट तक चढ़ा है. अमेरिकी शेयर बाजार ने भी 1 परसेंट की बढ़त हासिल की है. 

क्यों भारतीय शेयर बाजार में आई गिरावट? 

जानकारों का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार के खराब प्रदर्शन के लिए ये तीन बड़ी वजहें जिम्मेदार हैं. इनमें से भी अमेरिकी टैरिफ का असर सबसे ज्यादा है. पिछले दो—तीन तिमाहियों में भारत में कंपनियों की आय में कमी देखी गई है. इसके चलते विदेशी निवेशकों ने कई भारतीय शेयर बेच दिए.

दूसरी बात यह है कि अमेरिका में टैरिफ वॉर के चलते मामला और पेंचीदा हो गया है. द मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, इक्विनॉमिक्स रिसर्च के फाउंडर और सीईओ जी चोक्कालिंगम ने बताया, “शुरुआत में टैरिफ वॉर ने सभी बाजारों को प्रभावित किया, लेकिन दूसरे चरण में इसका असर सिर्फ भारत पर ही ज्यादा पड़ा.”

 

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