The journey of the divine aircrafts started, they were made to take a bath and then go for…

टोंक में जलझूलनी एकादशी पर्व पर कोतवाल डोला समेत 24 से ज्यादा देव विमानों की डोल यात्रा निकाली गई। इसमें लालबत्ती वाले कोतवाल डोल आकर्षण का केंद्र रहा।
टोंक में जलझूलनी एकादशी का पर्व शनिवार को जिला मुख्यालय सहित जिलेभर में उत्साह व उमंग के साथ श्रद्धापूर्वक मनाया गया। जिले में हर साल निकाली जाने वाली डोलयात्रा की तरह इस बार भी काला बाबा मोहल्ले का लालबत्ती वाला कोतवाल डोला (विमान) मुख्य आकर्षण का क
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इसको देखने के लिए सैंकड़ों की संख्या में महिला-पुरुष काला बाबा मोहल्ले से लेकर ऐतिहासिक चतुर्भुज तालाब के आस-पास मौजूद मकानों की छतों पर मौजूद रहे। इससे पहले ठाकुर जी को डोले (विमान) में सवार कर 29 डोल यात्राएं शहर के अलग-अलग मंदिरों से विधिवत पूजा-अर्चना के बाद शाम को रवाना हुई।
ठाकुरजी को कराया जल विहार जहां कई विभिन्न मार्गों से होकर बैंड-बाजों व डीजे पर भजनों के साथ श्रद्धालु नाचते गाते हुए चतुर्भुज तालाब पर पहुंचे। जहां ठाकुरजी को जल विहार करवाया गया। जिसे देखने को काफी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी।
डिग्गी में सरोवर में ठाकुर जी को स्नान कराते लोग।
डोले के नीचे निकलने की श्रद्धालुओं की रही होड़ डोल यात्रा को लेकर शहर में पुलिस का पर्याप्त व्यवस्था की गई। मंदिरों के डोलों के इर्द-गिर्द भजन-कीर्तन करने के साथ-साथ डोलों की परिक्रमा करते, फल चढ़ाते एवं शंखनाद व घंटिया बजाते चल रहे थे। डोल यात्रा का मुख्य आकर्षण काला बाबा मोहल्ले का लालबत्ती वाला कोतवाल डोला (विमान) रहा। जलझूलनी एकादशी पर पंचकुईयां क्षेत्र में मेले का आयोजन होता है। काला बाबा देव विमान (डोला) के हैरतअंगेज करतब देखने लायक थे। साथ ही डोले के नीचे निकलने की श्रद्धालुओं की होड़ मची रही।
पीपलू में देव विमानों को तालाब में स्नान कराते लोग।
देव विमानों का हुआ संगम पंचकुईया दरवाजा क्षेत्र में पुराने आयकर विभाग कार्यालय के सामने शहर के सभी देव विमानों (डोलाे) को संगम हुआ। यहां से काला बाबा का लालबत्ती वाला देव विमान सभी का नियंत्रित करते हुए आगे-आगे चला। क्योंकि जहां सभी विमान एक लाइन में चलते हैं तो दूसरी और कोतवाल डोला कभी आगे तो कभी पीछे सभी देवविमानों से ऊंचा होकर आगे निकलता नजर आया। इसके इस अंदाज के बावजूद डोले में प्रतिष्ठापित काला बाबा की प्रतिमा नीचे नहीं गिरी। इसी चमत्कार के कारण काला बाबा कोतवाल देव विमान अपनी पहचान रखता है। आखिर में चतुर्भज तालाब पर संध्या आरती व जल विहार के बाद सभी डोले अपने-अपने मन्दिरों के लिए रवाना हुए। डिग्गी के श्रीजी महाराज, पीपलू आदि कस्बों में भी डोल यात्रा निकाली गई।
इस दौरान कानून एवं शांति व्यवस्था के लिए पुरानी टोंक, कोतवाली समेत कई थानों पुलिस के अलावा अरिरिक्त जाब्ता पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में तैनात रहा। इस दौरान पूर्व टोंक विधायक अजीत सिंह मेहता, टोंक SDM हुकमी चंद रोलानिया आदि मौजूद रहे।
जिला मुख्यालय पर लालबत्ती वाले कोतवाल डोला को देखने के लिए महिलाएं आदि छतों पर भी काफी देर तक बैठी रही।
यह है परंपरा जलझूलनी एकादशी पर शहर में सामूहिक रूप से डोल (देव विमानों) की शोभायात्रा धूमधाम से निकाली जाती है। दोपहर बाद विभिन्न मंदिरों से देव विमानों को सजाकर लोग गाजे-बाजे के साथ निकालते हैं। पुरानी टोंक के काला पंचकुईया दरवाजा क्षेत्र में एकत्रित होकर चतुर्भुज तालाब पहुंचते हैं। वहां ठाकुरजी को स्नान करवाया जाता था। इसके बाद आरती होती है। जलझूलनी एकादशी पर शहर के विभिन्न मंदिरों से देव-विमान निकलते हैं और उन्हें देखने के लिए मेला लगता है।