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Nestle CEO Laurent Freixe Sacked: Nestle के CEO को स्टाफ से इश्क पड़ा महंगा, नौकरी से निकाल कर…

Nestle CEO Fired: स्विट्जरलैंड की दिग्गज मल्टीनेशनल कंपनी नेस्ले के सीईओ लॉरेंट फ्रेक्स को अपनी कंपनी के स्टाफ के साथ इश्क करना महंगा पड़ गया. कंपनी को जब पता चला कि उनका अपने डायरेक्ट सबोर्डिनेट यानी पीए के साथ रिश्ता है तो तत्काल प्रभाव से उन्हें नौकरी से बाहर निकाल दिया. कंपनी का कहना है कि पूरी जांच पड़ताल के बाद कंपनी की तरफ से यह कदम उठाया गया है.

लॉरेंट फ्रेक्स को कंपनी से निकालने के बाद फौरन उनकी जगह पर उनके मातहत काम करने वाले अन्य बोर्ड सदस्य और Nespresso CEO फिलिप नवरातिल को यह जिम्मेदारी दी गई है.

नौकरी से हाथ धो बैठे नेस्ले सीईओ

कंपनी की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि लॉरेंट फ्रेक्स का अपने पीए के साथ रोमांटिक रिश्ता नेस्ले के बिजनेस कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन है. इसकी वजह से कंपनी की तरफ से यह एक्शन लिया गया है.

कंपनी के बोर्ड ने कहा कि इसकी जांच चेयरमैन पॉल बुल्के की निगरानी में कराई गई, जिसकी अगुवाई इंडिपेंडेंट डायरेक्टर पाब्लो इस्ला कर रहे थे. साथ ही उन्हें बाहर के काउंसिल की तरफ से मदद दी जा रही थी. बुल्के ने कहा कि यह एक जरूरी कदम था. नेस्ले के वैल्यूज और गवर्नेंस कंपनी की मजबूत बुनियाद है. उन्होंने कहा कि वे लॉरेंट को उनकी सेवा के लिए धन्यवाद देना चाहेंगे.

कौन हैं लॉरेंट फ्रेक्स

लॉरेंट फ्रेक्स ने कंपनी के महत्वपूर्ण पदों पर काम संभाला है. वे साल 1986 में नेस्ले के साथ जुड़े. इसके बाद वे साल 2014 तक यूरोपीय ऑपरेशंस को चलाते रहे. उसके बाद सीईओ पद पर प्रमोशन होने से पहले तक वे लैटिन अमेरिका डिविजन के प्रमुख के तौर पर काम करते रहे.

इस घटना से नेस्ले की कॉरपोरेट गवर्नेंस और एथिक्स को लेकर गंभीर सवाल उठ सकते हैं. हालांकि कंपनी ने तुरंत एक्शन लेकर अपनी साख बचाने की कोशिश की है, लेकिन अल्पकाल में निवेशकों का भरोसा कुछ हद तक डगमगा सकता है. मार्केट में अक्सर ऐसी खबरों का असर शेयर प्राइस पर दिखता है, क्योंकि निवेशक प्रबंधन की स्थिरता और पारदर्शिता पर विशेष ध्यान देते हैं.

दूसरी ओर, नेस्ले का मजबूत ब्रांड वैल्यू और ग्लोबल मार्केट में पकड़ इतनी गहरी है कि लंबी अवधि में कंपनी की ग्रोथ पर इसका असर सीमित ही रहने की संभावना है. बल्कि, कंपनी ने जिस तेज़ी से सीईओ बदलने का निर्णय लिया है, वह संकेत देता है कि नेस्ले अपनी प्रतिष्ठा और गवर्नेंस स्टैंडर्ड से किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहती.

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