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शेयर बाजार में ट्रेडिंग पर सेबी का नया नियम 1 अक्टूबर से होगा लागू, जानें निवेशकों पर क्या होगा…

Sebi New Rule: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने इंट्राडे डेरिवेटिव ट्रेडिंग (F&O) पर नई पोजीशन लिमिट लागू करने का ऐलान कर दिया है. नया नियम 1 अक्टूबर से लागू हो जाएगा. इस नए नियम के तहत, सेबी ने इंडेक्स ऑप्शंस के लिए इंट्राडे नेट पोजीशन की लिमिट को पहले के 1500 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5,000 करोड़ प्रति इकाई कर दिया है. इसका उद्देश्य बाजार की गहराई और स्थिरता के बीच संतुलन बनाना है.

अब कितनी होगी नेट इंट्राडे पोजीशन की लिमिट? 

1 सितंबर को जारी सर्कुलर में सेबी ने कहा कि डेरिवेटिव्स मार्केट के अब तक के सबसे ज्यादा कारोबार वाले सेगमेंट इंडेक्स ऑप्शंस में इंट्राडे निवेश पर स्पष्ट सीमाएं लागू करेगा. इसका कैलकुलेशन लॉन्ग और शॉर्ट ट्रेड्स को समायोजित करने के बाद नए फ्यूचर्स-इक्विवेलेंट (FutEq) फ्रेमवर्क के आधार पर की जाएगी.

इस फ्रेमवर्क के तहत, फ्यूचर्स-इक्विवेलेंट के आधार पर मापी गई एक ट्रेडर की नेट इंट्राडे पोजीशन की लिमिट 5000 करोड़ रुपये होगी. इस नए नियम के चलते कोई भी निवेशक सेबी द्वारा तय लिमिट से ज्यादा पोजीशन नहीं ले पाएगा. हालांकि, ग्रॉस पोजीशन लिमिट 10000 करोड़ पर बरकरार रखा गया है, जो लॉन्ग और शॉर्ट साइड पर अलग-अलग लागू होंगी. सेबी ने ऐसे बड़े सट्टे दांवों के लिए एक्सचेंजों के निगरानी मानदंडों को भी कड़ा कर दिया है. 

इससे क्या होगा फायदा? 

सेबी का कहना है कि कुछ निवेशक जरूरत से ज्यादा लीवरेज लेकर बड़ी पोजीशन बना लेते हैं. इससे बाजार में जोखिम के साथ-साथ अस्थिरता भी बढ़ती है. अब नए नियम के साथ ट्रेडर्स को अपने पास वास्तविक रूप में उपलब्ध पूंजी और मार्जिन के हिसाब से पोजीशन बनानी होगी. इससे मार्केट में पारदर्शिता और स्थिरता बढ़ेगी. साथ ही रिटेल निवेशकों को नुकसान से बचाया जा सकेगा. जरूरत से ज्यादा लिमिट पर पांबदी लगाए जाने से निवेशकों को अब तय लिमिट के अंदर ही इंट्राडे ट्रेड करना होगा. यानी कि अब ट्रेडर्स ज्यादा लीवरेज लेकर बड़ा ट्रेड नहीं कर पाएंगे, जिससे छोटे रिटेल निवेशकों के लिए नुकसान की संभावना काफी हद तक कम हो जाएगी. 

 

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