एयर टैक्सी हवा में कैसे उड़ती है, क्या एरोप्लेन से अलग है कोई तकनीक

Air Taxi Technology: दुनिया तेजी से भविष्य की ओर बढ़ रही है और इसी दिशा में एक नया कदम है एयर टैक्सी. जिस तरह सड़कों पर कैब बुक करके आप एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं उसी तरह आने वाले समय में आसमान से उड़ान भरती एयर टैक्सियां भी आपको कुछ ही मिनटों में मंज़िल तक पहुंचा देंगी. लेकिन सवाल यह है कि आखिर ये एयर टैक्सी हवा में उड़ती कैसे हैं और क्या इनमें इस्तेमाल होने वाली तकनीक एरोप्लेन से अलग है?
एयर टैक्सी की उड़ान का राज
एयर टैक्सी को अक्सर eVTOL (Electric Vertical Take-Off and Landing) कहा जाता है. इसका मतलब है कि ये गाड़ियां बिना रनवे के सीधा ऊपर उठ सकती हैं और सीधा नीचे उतर सकती हैं. इसमें खास तरह के इलेक्ट्रिक मोटर्स और प्रोपेलर्स लगे होते हैं जो इसे हेलीकॉप्टर की तरह वर्टिकल उड़ान भरने की क्षमता देते हैं.
जहां एरोप्लेन को उड़ान भरने के लिए लंबे रनवे और तेज़ स्पीड की जरूरत होती है, वहीं एयर टैक्सी किसी छोटे से हेलिपैड या खुले क्षेत्र से भी उड़ान भर सकती है. यही वजह है कि भविष्य में इसे ट्रैफिक जाम से जूझ रहे बड़े शहरों के लिए वरदान माना जा रहा है.
तकनीक में फर्क
एरोप्लेन आमतौर पर जेट इंजन या टर्बोप्रॉप इंजन से चलते हैं जिनमें भारी मात्रा में फ्यूल (एविएशन टर्बाइन फ्यूल) की खपत होती है. वहीं एयर टैक्सी ज्यादातर बैटरी और इलेक्ट्रिक मोटर्स पर आधारित होती हैं. इसका मतलब है कि यह ज्यादा पर्यावरण-हितैषी हैं और शोर भी बहुत कम करती हैं. इसके अलावा, एरोप्लेन की उड़ान भौतिक विज्ञान के पारंपरिक सिद्धांतों जैसे लिफ्ट और थ्रस्ट पर निर्भर करती है. एयर टैक्सी भी इन्हीं सिद्धांतों का पालन करती है लेकिन इसमें छोटे-छोटे प्रोपेलर्स और रोटर्स लगे होते हैं जो अलग-अलग दिशा में घुमकर इसे स्थिर और नियंत्रित रखते हैं. इसे आप ड्रोन की बड़ी और एडवांस्ड फॉर्म कह सकते हैं.
सुरक्षा और नेविगेशन
एयर टैक्सी में हाई-टेक सेंसर, कैमरे और ऑटोपायलट सिस्टम होते हैं जो हर दिशा का रियल-टाइम डाटा कैप्चर करते हैं. ये गाड़ियां GPS और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से खुद-ब-खुद रास्ता तय करती हैं और हवा में टकराव से बचने के लिए तुरंत दिशा बदल सकती हैं. जहां एरोप्लेन में एक या दो पायलट की जरूरत होती है, वहीं एयर टैक्सी का भविष्य पूरी तरह ऑटोनॉमस यानी बिना ड्राइवर या पायलट के चलने का है. हालांकि शुरुआती दौर में इनका संचालन प्रशिक्षित पायलटों द्वारा ही किया जाएगा.
भविष्य का सफर
एयर टैक्सी का सबसे बड़ा फायदा है समय की बचत. एक शहर के एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचने में जहां सड़क से घंटों लग जाते हैं, वहीं एयर टैक्सी कुछ ही मिनटों में आपको वहां उतार देगी. साथ ही, यह कार्बन उत्सर्जन को कम कर पर्यावरण को भी सुरक्षित बनाएगी.
NASA भी कर रहे रिसर्च
भविष्य में हवाई सफर को और भी आसान, तेज और सुलभ बनाने के लिए एयर टैक्सी एक बड़े बदलाव के रूप में देखी जा रही है. इसी दिशा में NASA के वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे हैं. वे इस समय एक छोटे से इलेक्ट्रिक विमान पर रिसर्च कर रहे हैं जिसे तकनीकी भाषा में eVTOL कहा जाता है और जो दिखने में बिल्कुल एयर टैक्सी जैसा है. इस रिसर्च का उद्देश्य उन कंपनियों को जरूरी तकनीकी जानकारी देना है जो एयरक्राफ्ट तैयार कर रही हैं ताकि वे अपने डिज़ाइन को और सुरक्षित और बेहतर बना सकें.
जैसे-जैसे भविष्य में एयर टैक्सियां आसमान में उड़ान भरेंगी, इंजीनियरों के लिए यह जानना बेहद जरूरी होगा कि उनकी उड़ान के दौरान विमान किस तरह व्यवहार करता है और किन परिस्थितियों में उसका बैलेंस व कंट्रोल सिस्टम कैसे काम करता है. यही कारण है कि NASA इस प्रोजेक्ट पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि एक उन्नत फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम ही एयर टैक्सी को स्थिर और सुरक्षित उड़ान भरने में मदद करेगा.
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