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Fatehabad Swami Pranavanand became the successor of Saint Rajendrananda Maharaj | Fatehabad…

बिश्नोई समाज के बड़े संत स्वामी राजेंद्रा नंद महाराज का उत्तराधिकारी स्वामी प्रणवानंद को बनाया गया है। वह अब उत्तरी हरिद्वार में संत राजेंद्रा नंद महाराज के श्री बिश्नोई आश्रम भीमगोड़ा के गद्दीनशीन के रूप में कार्यभार देखेंगे।

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स्वामी प्रणवानंद संत राजेंद्रा नंद महाराज के ही शिष्य हैं। अब उनके सामने यूपी, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, एमपी, दिल्ली में संत राजेंद्रा नंद महाराज के समर्थकों को जोड़े रखने की चुनौती रहेगी।

यूपी के मुरादाबाद में हुआ जन्म

स्वामी प्रणवानंद मूलरूप से यूपी के मुरादाबाद जिले के गांव महमदपुर माफी के रहने वाले हैं। उनका जन्म 12 अगस्त 1974 को हुआ। उनके पिता का नाम लाखन सिंह बिश्नोई और मां का नाम शारदा देवी है। स्वामी प्रणवानंद के दो भाई और एक बहन भी है। एक भाई आर्मी ऑफिसर है, जबकि दूसरा किसान है। वह हाईस्कूल तक पढ़े हैं। मात्र 14 साल की उम्र में वह संतों के संपर्क में आ गए।

साल 1990 में घर-परिवार छोड़कर संत राजेंद्रा नंद महाराज के साथ ही हरिद्वार आश्रम में आ गए। दस साल तक वह सादी वेशभूषा में ही रहकर आश्रम में सेवा करते रहे। इसके बाद साल 2000 में उन्होंने संन्यास ले लिया। संत राजेंद्रा नंद महाराज अक्सर गो कथाएं, हरि कथाएं व गुरु जंभेश्वर महाराज की जांभाणी कथाएं करने के लिए आश्रम से बाहर ही रहते थे।

पीछे से आश्रम की सारी व्यवस्थाएं स्वामी प्रणवानंद ही संभालते थे। वह आश्रम के व्यवस्था प्रमुख के तौर पर काम करते थे।

स्वामी प्रणवानंद को गद्दीनशीन की जिम्मेदारी सौंपते संत समाज।

कांठ मंदिर के संरक्षक ट्रस्टी

स्वामी प्रणवानंद मुरादाबाद जिले में ही बने कांठ मंदिर के संरक्षक ट्रस्टी भी है। हरिद्वार स्थित आश्रम में रहकर स्वामी प्रणवानंद हवन और जागरण करते थे। हरिद्वार आश्रम में इस समय संत राजेंद्रानंद महाराज के 18 शिष्य रहते हैं। आश्रम में श्रद्धालुओं के लिए निशुल्क रहने व भंडारे की व्यवस्था रहती है।

गुरु की फ्री कथाओं की परंपरा आगे बढ़ाएंगे

स्वामी प्रणवानंद का कहना है कि वह अपने गुरु संत राजेंद्रानंद महाराज की संत परंपरा को ही आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने पूरा जीवन गो सेवा को समर्पित किया हुआ था। गो कथाओं के लिए कोई दान या राशि नहीं लेते थे। वह भी इस परंपरा को कायम रखेंगे। जहां भी गो कथा, हरि कथा, जांभाणी कथा के लिए श्रद्धालु बुलाएंगे, वह पहुंचेंगे। वह बिना किसी दक्षिणा के कथाएं करेंगे।

जानिए… कौन थे संत राजेंद्रा नंद महाराज

संत राजेंद्रा नंद महाराज बिश्नोई समाज के बड़े संतों में से एक थे। स्वामी राजेंद्रा नंद महाराज गायों की सेवा के लिए कथाएं करते थे और उसमें मिलने वाला सारा दान गो कल्याण के लिए दे देते थे। वह अक्सर हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, डबवाली, बठिंडा, अबोहर और राजस्थान के आसपास के क्षेत्रों में जाकर गोसेवा का प्रचार करते थे। उनका पूरा जीवन गोसेवा को समर्पित रहा।

संत राजेंद्रा नंद महाराज का 15 अगस्त को डबवाली में निधन हो गया था। वह जन्माष्टमी को लेकर शोभायात्रा में शामिल हुए थे। यात्रा निकालने के बाद जब वह मंदिर की धर्मशाला में पहुंचे तो उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें तुरंत डबवाली के सरकारी अस्पताल में लाया गया। जहां से उन्हें पंजाब के बठिंडा रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

उनके निधन पर हरियाणा के सीएम नायब सैनी, भाजपा नेता एवं पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव कुमारी सैलजा, राजस्थान के मंत्री केके बिश्नोई सहित कई नेताओं व संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शोक जताया था।

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यह भी पढ़ें… सिरसा में बिश्नोई समाज के संत का निधन:हिसार में जन्माष्टमी कार्यक्रम रद्द, 2 महीने पहले शाह से मुलाकात, खट्‌टर भी आशीर्वाद ले चुके

स्वामी राजेंद्रा नंद महाराज- फाइल फोटो

हरियाणा के सिरसा में शुक्रवार को बिश्नोई समाज के बड़े संत स्वामी राजेंद्रानंद का निधन हो गया। वह डबवाली में बिश्नोई मंदिर मेंं जांम्भाजी कथा कर रहे थे। सुबह उन्होंने जन्माष्टमी को लेकर शोभा यात्रा निकाली। यात्रा निकालने के बाद जब वह मंदिर की धर्मशाला में पहुंचे तो उनकी तबीयत बिगड़ गई। (पूरी खबर पढे़)

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