Government Teacher Couple Kitchen Garden Shankarlal Aladia Meena Chauhan Success Story । Nagaur…

टीचर दंपती ने घर की छत पर उगाई सब्जियां, फल और फूल।
डीडवाना (डीडवाना-कुचामन) में सरकारी टीचर दंपती ने 242 वर्ग गज के घर की छत को खेत बना दिया। गमलों में ऑर्गेनिक फल और सब्जियां उगा दी। यह अनोखा किचन गार्डन उन्होंने 15 साल में तैयार किया है।
.
टीचर दंपती का पूरा घर किसी जंगल सा नजर आता है। पति पत्नी को पौधे लगाने और गार्डनिंग का शौक है। स्कूल से जैसे ही घर आते हैं, वे पौधे लगाने और उनकी देखभाल में लग जाते हैं। ऑर्गेनिक फल सब्जियां और फूल उगाने के साथ-साथ दोनों पौधारोपण भी करते रहते हैं।
लाडनूं रोड पर संतोषी नगर में रहने वाले इस कपल का घर लोगों की बीच चर्चा में रहता है। टीचर दंपती ने पूरे घर में फलों-फूलों के पौधे लगा रखे हैं।
म्हारे देस की खेती में इस बार बात सरकारी टीचर डॉ. शंकरलाल आलड़िया और मीना चौहान की…
डॉ. शंकरलाल आलड़िया (44) ने बताया- मेरी पोस्टिंग राजकीय महात्मा गांधी विद्यालय मीठड़ी (डीडवाना) में बतौर सीनियर टीचर है। मेरी पत्नी मीना (40) भी बांठड़ी (डीडवाना) के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में कार्यरत है।
मैं और मेरी पत्नी कई साल से पौधे बांटने और पौधारोपण का भी काम कर रहे हैं। ये काम हम निशुल्क करते हैं। अब तक हम 5 हजार पौधे लगा चुके हैं। घर में किचन गार्डन लगाकर फल और सब्जियों की पैदावार ले रहे हैं।
परिवार में हम पति पत्नी, बेटा तन्मय और बेटी देवांशी, सभी गार्डनिंग के शौकीन हैं।
शंकरलाल का कहना है कि
औषधीय खेती में पीएचडी
डॉ. शंकरलाल आलड़िया ने बताया- मैंने राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर से Ph.D किया है। मेरा विषय “राजस्थान के नागौर जिले में औषधीय कृषि, समस्या और संभावना” था। ऐसे में मुझे खेती को लेकर विशेष अट्रैक्शन था। मेरा घर पौधों से भरा है। मैंने तीन कैटेगरी बना रखी हैं। छत पर गमलों में ऑर्गेनिक सब्जियां व फलदार पौधे लगा रखे हैं।
छत पर अमरूद, चीकू, नारंगी, मौसमी, ड्रेगन फ्रूट, थाई एपल,अनार, सीताफल, नींबू के पौधे लगे हैं। इसके अलावा सब्जियों में टमाटर, बैंगन, लौकी, तुरई, गिलकी, भिंडी, देसी ककड़ी, ग्वार फली, लोबिया लगी है। इसके अलावा पालक, मेथी, चुकन्दर, बंदगोभी सर्दियों में लगती है। घर के सामने के हिस्से में छोटा गार्डन बना रखा है जिसमें डेकोरेशन प्लांट लगे हैं। जबकि पीछे के हिस्से में औषधीय पौधे लगा रखे हैं। मरुस्थलीय पौधे भी लगाए हैं।
शंकरलाल और मीना को सब्जियों के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता।
पूरी तरह ऑर्गेनिक फल-सब्जियां
डॉ. शंकरलाल आलड़िया ने बताया- मेरे घर मे लगी हुई सारी सब्जियां पूरी तरह ऑर्गेनिक हैं। मैं इनमें वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करता हूं। इसके अलावा किचन वेस्ट भी इसी में खपता है। घर में बची हुई चायपत्ती, सब्जियों फलों के छिलके, बचा हुआ दूध-छाछ दही सब इसमें खपता है।
दवा के तौर पर नीम ऑयल, छाछ, हल्दी का इस्तेमाल करता हूं। इसके अलावा जरूरत पड़ने पर परलाइट, ट्राइकोड्रमा का इस्तेमाल करते हैं।
सभी पौधे मैंने गमलों में लगाए हैं। कई पौधे ग्रो-बैग में लगाकर लटका रखे हैं। वर्टिकल खेती के लिए जाल लगाया हुआ है। पौधे की साइज के अनुसार गमले छोटे बड़े हैं।
मैं कई साल से पौधों पर काम कर रहा हूं। घर में 500 से ज्यादा पौधे हैं।
हमें सब्जी या फल खरीदने के लिए बाजार जाने की जरूरत नहीं है। एक परिवार के लिए पर्याप्त सब्जी हो जाती है। मैं और मेरी पत्नी सुबह शाम 2-2 घंटे इस बगीचे को संभालते और पौधों की देखभाल करते हैं।
शंकरलाल की घर की छत पर चीकू भी लगा रखे हैं। पति-पत्नी का कहना है कि घर में उगाए फल व सब्जियों का टेस्ट भी काफी बेहतर होता है।
पौधारोपण का शौक, ताकि पर्यावरण बचे
डॉ. शंकरलाल आलड़िया ने बताया-मुझे और मेरी पत्नी को पौधारोपण का भी शौक है। दोनों में से एक की सैलरी हम पौधों पर खर्च करते हैं। हम जहां भी खाली जगह देखते हैं वहां छायादार पौधे लगाते हैं। लोगों को पौधे लगाने के लिए प्रेरित भी करते हैं। जिन्हें पौधे गिफ्ट करते हैं उन्हें लगाने का तरीका भी बताते हैं।
मैं अपने यूट्यूब चैनल, फ़ेसबुक पेज, इंस्टाग्राम आईडी से किचन गार्डन के बारे में जानकारी भी देता हूं।
भविष्य में बड़े स्केल पर बागवानी खेती की चाह
शंकरलाल की पत्नी मीना चौहान ने बताया- स्कूल के बाद में किचन गार्डन में समय देती हूं। हमें और बच्चों को इसी से पर्याप्त मात्रा में फल और सब्जियां मिल जाते हैं। ये पूरी तरह ऑर्गेनिक और शुद्ध हैं। भविष्य में समय मिला तो खेत खरीदकर हम बागवानी खेती खेती करना चाहते हैं। फिर बड़े स्केल पर ड्रैगन फ्रूट और कई तरह के फल लगाएंगे।
शंकरलाल की पत्नी मीना चौहान को भी गार्डनिंग का शौक है।
मेरे पति शंकरलाल ग्रामीणों को फ्री बागवानी की ट्रेनिंग देते हैं। स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण की शपथ दिलाते हैं। सार्वजनिक जगहों पर पौधों की सिंचाई के लिए टैंकरों से पानी की व्यवस्था करते हैं। हम समाज को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक कर रहे हैं।
हमने बरगद व पीपल के पेड़ लगाने का अभियान भी चलाया था। डीडवाना, फोगाडी, इंद्रपुरा, रायसिंहपुरा, मीठड़ी आदि गांवों में बरगद और पीपल के खूब पेड़ लगाए। सुरक्षा भी की। सीमेंट से बने रिंग डालकर पौधों को संरक्षित किया ताकि जानवर खराब न कर दें। 2014 में नीम-शीशम के पौधे लगाए। सन 2021 में हरित अभियान बड़े स्तर पर प्रारंभ किया। जिसमें डीडवाना व लाडनूं ब्लॉक के प्रत्येक विद्यालय में फलदार पौधे बांटे।
किचन गार्डन का प्रयास हर व्यक्ति को करना चाहिए। ताकि पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने की आदत बने।
———
खेती किसानी से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें
इंडस्ट्रियल एरिया में गुलाब की खेती कर लाखों में कमाई:8500 पौधों को बारिश-दीमक ने खराब किया; अब पुष्कर के फूलों से महका एरिया
जयपुर के सांगानेर तहसील के प्रहलादपुरा गांव में एक ऐसा खेत है जहां से गुलाब की खुशबू दूर-दूर तक फैल रही है। यह इलाका इंडस्ट्रियल एरिया में आता है। यहां की मिट्टी, हवा-पानी फसलों के लिए उपयुक्त नहीं हैं। कई फसलें खराब होने के बाद भी गांव के किसान राधेश्याम शर्मा (47) ने हार नहीं मानी और एक बीघा खेत में गुलाब की खेती कर सफल हुए। (पढ़ें पूरी खबर)