अन्तराष्ट्रीय

पुतिन-जिनपिंग और पीएम मोदी की कैमिस्ट्री देखकर अमेरिका की अक्ल आई ठिकाने, भारत संग रिश्तों को…

चीन के तियानजिन में चल रहे SCO शिखर सम्मेलन 2025 के दौरान जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन एक ही मंच पर आए. इसे लेकर अमेरिका की ओर से भी बयान सामने आ गया है. अमेरिकी विदेश विभाग और अमेरिकी अधिकारियों ने भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर एक विशेष बयान जारी किया, जिसमें दोनों देशों के बीच मजबूत साझेदारी और सहयोग पर जोर दिया गया.

अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, “भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी लगातार नई ऊंचाइयों तक पहुंच रही है और यह 21वीं सदी का परिभाषित संबंध बन चुकी है.” बयान में यह भी कहा गया कि इस महीने अमेरिका खास तौर पर भारत-अमेरिका लोगों, प्रगति और संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जो दोनों देशों को आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं.

मार्को रुबियो ने कही ये बड़ी बात

मार्को रुबियो ने अपने बयान में यह भी बताया कि इन सहयोगों में नवाचार, रक्षा और द्विपक्षीय संबंध शामिल हैं. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नागरिकों के बीच स्थायी मित्रता ही इस साझेदारी की असली ताकत है और यही भविष्य की दिशा तय कर रही है. अमेरिका ने अपने बयान के साथ एक सोशल मीडिया अभियान भी चलाया है. उन्होंने कहा, “#USIndiaFWDforOurPeople के हेशटैग को फॉलो करें और इस यात्रा का हिस्सा बनें.” इस हेशटैग के जरिए अमेरिका और भारत के बीच चल रहे सहयोग, प्रगति और साझेदारी को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया जा रहा है.

भारत में अमेरिकी दूतावास का यह ट्वीट ऐसे समय में आया है जब सोमवार (1 सितंबर) सुबह ही चीन के तियानजिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच गर्मजोशी भरी मुलाकात हुई. यह मुलाकात ऐसे समय में हुई जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत भारी टैरिफ लगाए हैं और उनके सलाहकार और रणनीतिकार भारत के खिलाफ कड़े बयान दे रहे हैं.

दुनियाभर में हो रही है इन तीन देशों की बैठक की चर्चा

चीन में हुई इस तीन देशों की बैठक की चर्चा दुनियाभर की राजनीतिक और कूटनीतिक राजधानियों में हो रही है. इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने SCO शिखर सम्मेलन में संबोधन देते हुए कहा, “ग्लोबल साउथ की आकांक्षाओं को पुराने और आउटडेटेड फ्रेमवर्क में सीमित रखना भविष्य की पीढ़ियों के प्रति अन्याय है. नई पीढ़ी के बहुरंगी सपनों को हम पुराने जमाने की ब्लैक एंड व्हाइट स्क्रीन पर नहीं दिखा सकते. इसके लिए हमें स्क्रीन बदलनी होगी.”

प्रधानमंत्री ने इस संदेश के जरिए दुनिया को बदलाव को स्वीकार करने और नई सोच अपनाने का संकेत दिया, ताकि वैश्विक साझेदारी और विकास की राह में युवाओं की रचनात्मकता और आकांक्षाओं का सही सम्मान हो सके.

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