Medical education teachers are angry at the orders of NMC and the government | मेडिकल-कॉलेज में…

राजस्थान के हर जिले में मेडिकल कॉलेज शुरू करने के बाद अब सरकार ने इनमें टीचर्स अपॉइन्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। नेशनल मेडिकल कौंसिल (NMC) के आदेशों के मुताबिक ग्रुप-2 में कार्यरत पीजी डॉक्टर्स (स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स) को अनुभव के आधार पर कॉलेजों मे
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मेडिकल कॉलेजों में नियुक्त फेकल्टी मेम्बर्स (डॉक्टर्स) का विरोध है कि बिना आरपीएससी एग्जाम क्लियर करवाए इस तरह से सीधे फेकल्टी बनाने से नुकसान होगा। विरोध जताते इससे होने वाले नुकसान को सरकार के सामने रखा है।
मेडिकल कॉलेजों में नियुक्त फेकल्टी मेम्बर्स ने ये नुकसान बताए
- एसोसिएशन की ओर से जारी लेटर के मुताबिक अगर सीधे मेडिकल टीचर की भर्ती होती है तो इससे मेडिकल एज्युकेशन की क्वालिटी प्रभावित होगी।
- एसोसिएशन का कहना है कि अभी ये सभी स्पेशलिस्ट डॉक्टर प्रदेश के दूर-दराज के ग्रामीण एरिया में सेवाएं दे रहे है।
- अगर इन डॉक्टर्स को मेडिकल कॉलेजों में टीचर के तौर पर लगा दिया तो फिर ग्रामीण और दूर-दराज के इलाकों में मेडिकल फैसिलिटी प्रभावित हो जाएगी।
- आरोप है कि ऐसे डॉक्टर्स को टीचर्स बनाने से रिसर्च का काम भी प्रभावित होगा, क्योंकि इनके पास इसका अनुभव नहीं है।
ग्रुप 2 डॉक्टर्स ने ये फायदे बताए
- ग्रुप-2 डॉक्टर्स की एसोसिएशन अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ (अरिसदा) के पदाधिकारियों ने बताया- अभी राजस्थान के सभी मेडिकल कॉलेजों में अंडर ग्रेज्युएट (UG) यानी MBBS करने वाले स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए पर्याप्त टीचर्स नहीं हैं। इसके कारण इन स्टूडेंट्स की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सरकार यदि ग्रुप-2 के स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को इन कॉलेजों में फेकल्टी (टीचर्स) के पद पर नियुक्त करती है तो इस समस्या का समाधान होगा।
- ग्रुप-2 के स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को फेकल्टी नियुक्त करने पर सरकार पर इसका कोई अलग से वित्तीय भार नहीं आएगा। क्योंकि वर्तमान में सरकार इन डॉक्टर्स को वेतनमान दे ही रही है। इसी वेतनमान में ये डॉक्टर्स कॉलेजों में फेकल्टी के तौर पर सेवाएं देने के साथ-साथ हॉस्पिटलों में मरीजों को देखने का ही काम कर रहे हैं।
- सरकार को अलग से आरपीएससी के माध्यम से नए टीचर्स की भर्ती नहीं करनी पड़ेगी। इससे समय भी बर्बाद होगा और सरकार का बहुत वित्तीय भार भी बढ़ेगा। वर्तमान में आरपीएससी के जरिए होने वाली टीचर्स की भर्ती में भी पीजी किए डॉक्टर्स ही एग्जाम देने के लिए योग्य होते है। उन्हीं में से पेपर क्लीयर करके असिस्टेंट प्रोफेसर (फेकल्टी) बनता है।
- मेडिकल कॉलेज जहां अभी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी है। वहां इन स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को फेकल्टी के रूप में नियुक्ति देने से इसकी कमी भी दूर होगी। इसका सीधा फायदा मरीजों को मिलेगा। क्योंकि वर्तमान में अभी कई पीएचसी-सीएचसी में ये स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स तैनात है, जिनकी उपयोगिता वहां ज्यादा नहीं है।
पहले भी हो चुकी है भर्ती
साल 2018 और 2022 में एनएमसी ने ऐसे ही दो अलग-अलग आदेश जारी करके ग्रुप-2 में कार्यरत स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को टीचर फेकल्टी के तौर पर नियुक्त करने की छूट दी थी। उस समय कई ग्रुप-2 के डॉक्टर्स को वन टाइम ऑप्शन देते हुए टीचर्स के तौर पर सरकार ने नियुक्त किया था। इन्ही टीचर्स की नियुक्ति के आधार पर सरकार ने प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता ली थी।
अभी ये जारी किया है नियम
एनएमसी ने जून में आदेश जारी करके ग्रुप-2 के उन स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर नियुक्त करने की छूट दी थी, जिनके पास 220 या उससे ज्यादा बैड (शैय्या) वाले हॉस्पिटल में काम का अनुभव है। इस तरह के हॉस्पिटल में अगर कोई डॉक्टर 2 साल से ज्यादा समय तक अपनी सेवाएं दे चुका है, तो उसे मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर लगाया जा सकता है। इसी तरह इन हॉस्पिटलों में जिन डॉक्टरों ने 10 साल या उससे ज्यादा समय तक सेवाएं दी है, उनको एसोसिएट प्रोफेसर बनाया जा सकता है।