स्वतंत्रता दिवस पर ऐतिहासिक जीत, भारत ने समुद्र की 5,000 मीटर गहराई में लहराया तिरंगा

अगस्त महीना भारत के लिए गर्व, रोमांच और इतिहास रचने के प्रतीक बन गया है. जिस तरह साल 1975 में हमने अंतरिक्ष में पहला उपग्रह भेजा था और 2014 में मंगल की कक्षा में कदम रखा था, अब वैसा ही सुनहरा पल हमारे महासागरों के लिए आया है.
भारत के जांबाज एक्वानॉट्स ने फ्रांस के Nautile सबमर्सिबल में बैठकर 5 और 6 अगस्त को पहली बार अटलांटिक महासागर की अंधेरी और खामोश गहराइयों में प्रवेश किया, जहां सूरज की किरणें कभी नहीं पहुंचतीं और दबाव इंसान को पल भर में कुचल सकता है.
वहीं, कमांडर जतिंदर पाल सिंह (JP) ने 5,002 मीटर और NIOT, चेन्नई के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर. रमेश ने 4,025 मीटर की गहराई तक जाकर भारत का तिरंगा लहराया है. सबमर्सिबल के रोबोटिक आर्म्स से गहराई में मौजूद नमूने और चट्टानें इकट्ठी की गईं, जहां का पानी का दबाव इंसानों के लिए जानलेवा होता है. रोशनी के बिना अंधेरे में भी खास लाइट्स से काम किया गया. यह सब इंडो-फ्रेंच रिसर्च कोलैबोरेशन के तहत हुआ.
कितनी देर में पूरा हुआ समुद्र में 5,000 मीटर की गहराई में डाइव का सफर
- 5 घंटे में समुद्र तल तक उतरना
- 4 घंटे गहराई में वैज्ञानिक मिशन पूरे करना
- फिर 2.5 घंटे में सतह पर वापसी
गहराई में, रोबोटिक आर्म्स से नमूने और चट्टानें इकट्ठी की गईं, विशेष लाइट्स से रिसर्च हुआ और पूरी टीम ने इस दौरान इंडो-फ्रेंच वैज्ञानिक सहयोग की शानदार मिसाल पेश की. अगला पड़ाव, भारत का डीप ओशियन मिशन (Deep ocean mission)- महासागर अभियान और मत्स्य 6000 (Matsya-6000) है.
भारत के मत्स्य -6000 मिशन में इसरो भी होगा शामिल
भारत का अपना गहरे समुद्र में जाने वाला मानव-सबमर्सिबल Matsya-6000 साल 2026 में तैनात होगा. यह समुद्रयान प्रोजेक्ट का हिस्सा है, जो भारत के महासागर अभियान (Deep Ocean Mission) का अहम स्तंभ है. इस मिशन में न सिर्फ NIOT बल्कि इसरो (ISRO) की भी महत्वपूर्ण भूमिका है. जहां इसरो के इंजीनियर सबमर्सिबल के नेविगेशन, कम्युनिकेशन और क्रू सेफ्टी सिस्टम में तकनीकी सहायता दे रहे हैं, ठीक उसी तरह जैसे वे मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान में करते हैं.
मिशन के 6 बड़े लक्ष्य:
- डीप सी माइनिंग और मानव सबमर्सिबल संचालन
- समुद्री जलवायु परिवर्तन पर अध्ययन
- गहरे समुद्री जैवविविधता की खोज और संरक्षण
- समुद्र तल का सर्वे और अन्वेषण
- ऊर्जा और ताजे पानी के नए स्रोत ढूंढना
- समुद्री जीव विज्ञान और क्षमता निर्माण
मिशन Matsya-6000 की खूबियां:
- तीन लोगों को 6,000 मीटर तक ले जाने की क्षमता
- 12 घंटे ऑपरेशन और 96 घंटे तक इमरजेंसी सपोर्ट
- टाइटेनियम प्रेशर स्फीयर, प्रेशर-बैलेंस्ड बैटरियां
- इमरजेंसी ड्रॉप वेट सिस्टम और डिजिटल को-पायलट
- अत्याधुनिक हेल्थ मॉनिटरिंग, अंडरवाटर एकॉस्टिक टेलीफोन और ISRO-डिजाइन नेविगेशन यूनिट
क्यों है यह मिशन खास?
- भारत की ब्लू इकोनोमी (Blue Economy) को मिलेगा नया आयाम
- अब तक अनछुए समुद्री क्षेत्रों का वैज्ञानिक अध्ययन
- नई ऊर्जा, खनिज और जैवविविधता की खोज
- भारत का वैश्विक समुद्री अनुसंधान में नेतृत्व
अब हम केवल सहयोग नहीं, वैश्विक मिशनों के लीडर हैं- केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह
वहीं, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, “भारत अब उन चंद देशों में शामिल हो गया है, जिन्होंने 5,000 मीटर से ज्यादा की गहराई तक मानव मिशन भेजा है. यह उपलब्धि मात्र चार हफ्ते बाद आई है, जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा की थी. अंतरिक्ष से लेकर समुद्र की गहराई तक, भारत ने अपना लोहा मनवाया है. हम अब केवल सहयोगी नहीं, बल्कि वैश्विक मिशनों के लीडर हैं.”
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 और 2023 के स्वतंत्रता दिवस भाषणों में Deep Ocean Mission को विशेष प्राथमिकता दी थी और यह मिशन विकसित भारत के विजन का अहम हिस्सा है. डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि महासागर और अंतरिक्ष भारत के आर्थिक भविष्य के दो स्तंभ होंगे और इस तरह की उपलब्धियां भारत को दुनिया के अग्रणी देशों की कतार में खड़ा करती हैं.
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