Only OBC lawyers will plead on behalf of the government | ओबीसी आरक्षण: सरकार की ओर से ओबीसी…

महाधिवक्ता ने ओबीसी संगठनों से मांगे दो नाम
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सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण विवाद के समाधान के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव के निर्देश पर गुरुवार को दिल्ली स्थित मप्र भवन में महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने सभी पक्षों के वकीलों के साथ बैठक की।
इस बैठक में प्रशांत सिंह ने ओबीसी संगठनों से जुड़े प्रतिनिधियों को कहा कि इस केस में पैरवी के लिए सरकार की ओर से दो वकील ओबीसी वर्ग से नियुक्त किए जाएंगे। इसलिए आप ऐसे दो काबिल वकीलों के नाम तय करके दें, जिन्हें इस केस में पैरवी की जिम्मेदारी दी जा सके। ओबीसी संगठनों से जुड़े वकीलों ने कहा कि वे ओबीसी के हक की लड़ाई अपने स्तर पर लड़ सकते हैं।
इसके लिए उन्हें किसी सरकारी फीस की जरूरत नहीं है। ओबीसी संगठनों ने महाधिवक्ता से मांग की कि मप्र की सरकारी भर्तियों में उन विभागों के ओबीसी की होल्ड 13 फीसदी पदों को अनहोल्ड कराया जाए, जिनको लेकर कोर्ट से किसी भी तरह का स्टे नहीं है। इसी के बाद वे मानेंगे कि सरकार वाकई इस मुद्दे पर गंभीर है।
इसके साथ ही यह भी सुझाव दिया गया है कि अनहोल्ड होने के बाद नियुक्ति आदेश में यह बात इंडोर्स की जाए कि नियुक्ति न्यायालय में विचाराधीन याचिकाओं के निर्णय के अधीन होगी। इसके साथ ही महाधिवक्ता कार्यालय में पदस्थ सरकारी वकीलों में भी ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण दिया जाए।
महाधिवक्ता ने इन दोनों मांगों को लेकर सरकार से चर्चा के लिए दो दिन की मोहलत मांगी है। दो दिन बाद इस मुद्दे पर वकीलों की एक और बैठक होगी। गुरुवार को हुई बैठक में भूतपूर्व महाधिवक्ता अनूप जॉर्ज चौधरी, वरिष्ठ अधिवक्ता जून चौधरी, रामेश्वर सिंह ठाकुर, वरुण ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, शशांक रतनू, हनमत लोधी समेत शिक्षक भर्ती, पुलिस भर्ती, पीएससी भर्ती वे स्टूडेंट शामिल हुए, जिन्होंने ओबीसी आरक्षण के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित सभी याचिकाओं में इसी माह 23 सितंबर से नियमित सुनवाई शुरू होगी।