ट्रंप के टैरिफ का भारत के मार्केट पर क्या होगा असर? सामने आई चौंका देने वाली रिपोर्ट

अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए 50 फीसदी टैरिफ का भारत के इक्विटी मार्केट पर कोई खास असर नहीं होगा. इसकी वजह घरेलू निवेशकों की अधिक भागीदारी और अमेरिकी टैरिफ का न्यूनतम प्रभाव होना है, यह जानकारी मंगलवार (02 सितंबर, 2025) को जारी एक रिपोर्ट में दी गई.
HSBC ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की ओर से जारी आंकड़ों में भारत के प्रति ‘न्यूट्रल’ रुख रखा गया है. हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि भारतीय बाजारों के लिए नौ में से पांच जोखिम कारकों में सुधार हो रहा है. रिसर्च फर्म ने आगे कहा, ‘टैरिफ से मार्केट डिरेल नहीं होगा, क्योंकि इसका लिस्टेड कंपनियों की आय पर सीधा प्रभाव काफी न्यूनतम है.’
4 प्रतिशत से भी कम कंपनियां अमेरिकी निर्यात पर निर्भर
रिपोर्ट में बताया गया कि बीएसई 500 कंपनियों में से 4 प्रतिशत से भी कम कंपनियां अमेरिकी निर्यात पर निर्भर हैं. वहीं, फार्मास्युटिकल क्षेत्र को टैरिफ से छूट दी गई है, जिससे आय जोखिम कम हो गया है. ब्रोकरेज ने कहा कि सरकारी कर प्रोत्साहन और मुद्रास्फीति में कमी के बीच उपभोग की संभावनाएं बेहतर हो रही हैं. साथ ही, यह भी कहा कि अधिक सुधार के लिए वेतन वृद्धि में भी तेजी आनी चाहिए.
बयान में कहा गया, ‘हालांकि हम इक्विटी को आगे बढ़ाने वाले कुछ कारकों में सुधार देख रहे हैं, लेकिन हमें लगता है कि निकट भविष्य में इसमें वृद्धि की संभावना अभी भी सीमित है.’ एचएसबीसी के अनुसार, 2025 में आय वृद्धि घटकर 8-9 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. हालांकि कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए आय वृद्धि अनुमान 11 प्रतिशत है.
घरेलू म्यूचुअल फंड में रिकॉर्ड निवेश
ब्रोकरेज ने कहा कि जुलाई में घरेलू म्यूचुअल फंडों में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) के माध्यम से रिकॉर्ड निवेश हुआ. यह भारतीय बाजारों के लिए सबसे मजबूत सहायक कारक है और इस कारण विदेशी निवेश कम होने पर भी बाजार मजबूत बने हुए हैं.
एचएसबीसी का अनुमान है कि भारतीय और चीनी, दोनों बाजार एक साथ अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, क्योंकि दोनों ही स्थानीय निवेशकों की ओर संचालित हैं और विदेशी संस्थानों की सीमित भागीदारी है.
ये भी पढ़ें:- शहबाज शरीफ सिर्फ मुखौटा, असली कमान आसिम मुनीर के हाथ? SCO समिट में दिखने के बाद फिर उठे सवाल