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ट्रंप के ट्रेड एडवाइजर बोले- ‘भारत है टैरिफ का महाराजा’, रूस से तेल खरीद पर कह दी बड़ी बात

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनातनी एक बार फिर चर्चा में है. अमेरिका ने भारतीय सामानों पर कुल 50% टैरिफ लागू कर दिया है. व्हाइट हाउस के वरिष्ठ सलाहकार पीटर नवारो ने भारत की व्यापार नीतियों की तीखी आलोचना की है और कहा कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से जरूरी था.

भारत “टैरिफ का महाराजा” है – पीटर नवारो
व्हाइट हाउस के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने भारत को “टैरिफ का महाराजा” करार दिया है. उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाला देश है, खासकर अमेरिकी उत्पादों पर. इसके अलावा भारत की नॉन-टैरिफ बाधाएं भी बहुत अधिक हैं, जिससे अमेरिकी उत्पादों का भारतीय बाजार में प्रवेश कठिन हो जाता है.

भारत पर 50% तक आयात शुल्क लागू
27 अगस्त से प्रभावी नए टैरिफ के बाद अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर कुल मिलाकर 50% तक शुल्क लगा दिया है. इस कदम को भारत ने “अनुचित, अन्यायपूर्ण और बेबुनियाद” बताया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कहा कि भारत अपने डेयरी और कृषि क्षेत्र के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा.

भारत पर आरोप- अमेरिकी डॉलर से खरीदा जा रहा रूसी तेल
पीटर नवारो ने अमेरिका के व्यापार घाटे को लेकर बड़ा आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत से भारी मात्रा में वस्तुएं खरीदता है और इसके बदले डॉलर भेजता है. भारत इन डॉलर से रूसी तेल खरीदता है, और रूस उन्हीं डॉलर का इस्तेमाल यूक्रेन पर युद्ध के लिए करता है. इस तरह अमेरिका के पैसे से रूस को हथियार मिलते हैं, जिससे यूक्रेन को नुकसान होता है.

टैरिफ लगाने का मकसद चीन से अलग – नवारो
नवारो ने साफ किया कि भारत पर लगाए गए टैरिफ का मकसद चीन से अलग है. उन्होंने कहा कि भारत की ओर से रूसी तेल की खरीद बंद न करने के चलते यह कदम उठाया गया है. जबकि चीन पर लगाए गए टैरिफ “रिसिप्रोकल” यानी प्रतिशोधात्मक हैं.

राष्ट्रीय सुरक्षा- ट्रंप की सोच
नवारो ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आर्थिक फैसलों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर देखते हैं. उन्होंने कहा, “जो गणित काम नहीं करता, उसे बंद करना होगा. ट्रंप समझते हैं कि आर्थिक सुरक्षा ही राष्ट्रीय सुरक्षा है. यही इस फैसले की मूल भावना है.”

भारत की कड़ी प्रतिक्रिया
अमेरिका के इस कदम पर भारत की प्रतिक्रिया बेहद कड़ी रही है. भारत सरकार ने इन टैरिफ को न केवल अनुचित बताया, बल्कि कहा कि इससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्पष्ट किया कि भारत किसी भी दबाव में अपने कृषि और डेयरी क्षेत्र को नुकसान नहीं पहुंचने देगा.

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